LIC IPO : यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने के दिन से ही दुनिया भर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है. हर तरफ गिरावट का दौर जारी है. इन दोनों देशों के बीच हो रहे युद्ध और रूस पर प्रतिबंधों की झड़ी लगने के बाद घरेलू और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी से भारतीय शेयर बाजार में भी बिकवाली दौर शुरू हो गया है. इसकी वजह से कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट के दौर में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) की पेशकश की चर्चा जोरशोर से की जा रही है. ऐसे में घरेलू निवेशकों के मन में एक सवाल यह पैदा हो रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गिरावट के इस दौर में एलआईसी के आईपीओ में निवेश करना कितना अधिक फायदे मंद साबित होगा?
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ को मार्च महीने के किसी भी दिन जारी किया जा सकता है. इस आईपीओ को लेकर देश-दुनिया में जोर-शोर से चर्चा की जा रही है. यहां तक कि एलआईसी खुद इसे लेकर विज्ञापनों के जरिए प्रचार-प्रसार कर रहा है. इस आईपीओ के इश्यू के बारे में अपने पॉलिसीधारकों को जानकारी दे रहा है और उन्हें इसका फायदा बता रहा है, लेकिन गिरावट के इस दौर में लोगों के मन कई प्रकार का आशंकाएं भी पैदा हो रही हैं.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी आईपीओ का इश्यू 60,000 से 90,000 करोड़ रुपये के बीच का हो सकता है. यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. इससे पहले पेटीएम ने 18,000 करोड़ रुपये के इश्यू का देश का सबसे बड़ा आईपीओ पेश किया था. लिस्टिंग के बाद एलआईसी देश की सबसे बड़ी कंपनियों के क्लब में शामिल हो जाएगी. अभी मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी है. इसके बाद टाटा ग्रुप की टीसीएस दूसरे पायदान पर है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी पर सरकार का नियंत्रण है और आईपीओ आने के बाद भी सरकार का नियंत्रण रहेगा. इसका बड़ा कैश रिजर्व सरकारी बैंकों को आर्थिक मदद करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए एलआईसी के आईपीओ पर निवेशकों का भरोसा अधिक है. आईडीबीआई के निजीकरण के लिए सरकार को एलआईसी की मदद लेनी पड़ी थी. सरकार अगर एलआईसी का ऐसा इस्तेमाल आगे जारी रखती है तो उसका शेयरहोल्डर्स के ब्याज पर खराब असर पड़ सकता है.
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो एलआईसी नए कारोबार के लिए एजेंटों पर बहुत ज्यादा भरोसा करती है. अभी देशभर में एलआईसी के 12 लाख से ज्यादा एजेंट हैं. कंपनी का करीब 94 फीसदी नया प्रीमियम एजेंट के जरिए आता है. पिछले कुछ सालों में एजेंटों के कमीशन में बड़ी कमी आई है. इरडा ने ग्राहकों के हित में कमीशन से जुड़े नियमों को सख्त बनाया है. जैसे-जैसे कमीशन घटेगा, पॉलिसी बेचने में एलआईसी की दिलचस्पी में कमी आ सकती है. इसका सीधा असर एलआईसी के नए कारोबार पर दिखाई देगा.
विशेषज्ञों के अनुसार, एलआईसी की ब्रान्ड वैल्यू को देखते हुए इसके आईपीओ की सफलता को लेकर कोई संदेह नहीं है. यह आईपीओ ओवरसब्सक्रिप्शन के मामले में भी रिकॉर्ड बना सकता है. इसकी वजह यह है कि एलआईसी की पहुंच देश के कोने-कोने तक है. कंपनी जिस तरह से अपने पॉलिसीधारकों को इश्यू में निवेश के लिए लुभा रही है, उससे इस आईपीओ में रिकॉर्ड बोली लगाई जा सकती है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के इस दौर में निवेशकों और कंपनी दोनों को थोड़ा इंतजार कर लेना चाहिए. युद्ध के नतीजों का भी बाजार पर खासा असर दिखाई देगा. इसलिए फिलहाल इंतजार करने में ही सबकी भलाई है.
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