नई दिल्ली : पिछले हफ्ते इकोनॉमिक्स इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) की ओर से प्रकाशित एक रिपोर्ट में कारोबारी माहौल रैंकिंग में सिंगापुर में अपना अव्वल नंबर बरकरार रखा है. इस रैंकिंग उन देशों की भविष्यवाणी की जाती है, जिनके पास अगले पांच साल में कारोबारी माहौल पूरी दुनिया में बेहतरीन होगा. सिंगापुर पिछले 15 साल से इस रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज है. हालांकि, कनाडा और डेनमार्क दूसरे स्थान पर हैं, जबकि अमेरिका और स्विट्जरलैंड चौथे और पांचवें स्थान पर हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस रैंकिंग में भारत, वियतनाम, थाईलैंड, बेल्जियम, स्वीडन और कोस्टा रिका ने अपने कारोबारी माहौल में पिछले एक साल के दौरान बड़ा सुधार किया है, जबकि चीन, बहरीन, चिली और स्लोवाकिया में गिरावट दर्ज की गई है. ईआईयू की कारोबारी माहौल रैंकिंग (बीईआर) में भारत ने सिंगापुर को टक्कर देते हुए रैंकिंग में करीब 6 पायदान का सुधार किया है.
एक साल में 6 पायदान ऊपर आया भारत
बताते चलें कि इकनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) की ओर से पिछले गुरुवार को जारी वैश्विक कारोबारी माहौल रैंकिंग (बीईआर) के मुताबिक 2022 की दूसरी तिमाही से 2023 की दूसरी तिमाही के बीच भारत 6 पायदान ऊपर गया है. तकनीकी तैयारी, राजनीतिक माहौल और विदेशी निवेश सहित अन्य मानकों के स्कोर में सुधार की वजह से रैंकिंग में सुधरी है.
भारत विनिर्माण में निवेश के लिए कर रहा संघर्ष
बीईआर में 91 संकेतकों के आधार पर 82 देशों में कारोबारी माहौल को लेकर आकर्षण का मापन किया जाता है. 2023 की दूसरी तिमाही लिए रैंकिंग से पता चलता है कि सिंगापुर, कनाडा और डेनमार्क अगले 5 साल में सबसे बेहतर कारोबारी माहौल देने वाले 3 देश होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विनिर्माण में निवेश के मामले में ऐतिहासिक रूप से संघर्ष कर रहा है, वहीं नीतिगत सुधार की वजह से भारत में कारोबार करना आसान हुआ है.
नीतिगत सुधार से भारत में व्यापार करना आसान
रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत, स्थिर अर्थव्यवस्था और व्यापक रूप से श्रमिकों की आपूर्ति की वजह निवेशकों को आकर्षित करने का आधार है. नीतिगत सुधार से भारत में व्यापार करना आसान हुआ है. हम उम्मीद करते हैं कि बुनियादी ढांचा, कराधान और कारोबार के नियमन में सुधार की वजह से निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
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एशिया की 17 अर्थव्यवस्थाओं में भारत 10वें स्थान पर
एशियाई क्षेत्र की 17 अर्थव्यवस्थाओं में से, भारत 2023-27 की पूर्वानुमान अवधि में 10वें स्थान पर है, जबकि 2018-22 की अवधि में यह 14वें स्थान पर था. भारत की रैंकिंग में इस सुधार के पीछे विदेशी व्यापार और विनिमय नियंत्रण, बुनियादी ढांचे और तकनीकी तत्परता अहम कारक हैं. भारत की रैंकिंग में सुधार बाजार में बेहतरीन कारोबारी अवसर की ओर इशारा करता है.
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