Power Diplomacy: भारत ने पावर डिप्लोमेसी के तीर से दो निशाना साधते हुए नेपाल में अपने बिजली ट्रांसमिशन लाइन से बांग्लादेश को बिजली का निर्यात करना शुरू कर दिया है. अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत की ओर से उठाया गया यह सहयोगात्मक कदम इस समय दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. नेपाल से भारत के ट्रांसमिशन लाइन से बांग्लादेश को बिजली निर्यात शुक्रवार को शुरू किया. यह पहला मौका है, जब भारतीय ग्रिड के माध्यम से त्रिपक्षीय बिजली सौदा पूरा हुआ है.
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है बांग्लादेश को बिजली देना
सितंबर, 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद से भारत के साथ उसके संबंधों में हल्की खटास आ गई थी. वहीं, केपी शर्मा ओली का दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद से नेपाल का चीन प्रति झुकाव अधिक बढ़ गया है. दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद केपी शर्मा ओली ने परंपरा को तोड़ते हुए भारत आने के बजाए चीन जाना उचित समझा. इस लिहाज से भारत का नेपाल की सरजमीं से बांग्लादेश को बिजली देना कूटनीतिक तौर पर काफी मायने रखता है.
बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली देगा भारत
आधिकारिक बयान के अनुसार, बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने डिजिटल माध्यम से बांग्लादेश के बिजली मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद फौजुल कबीर खान और नेपाल के ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का के साथ इस व्यवस्था का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम की मेजबानी नेपाल सरकार के ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय ने की. इस व्यवस्था के तहत भारतीय ग्रिड के माध्यम से नेपाल से बांग्लादेश तक 40 मेगावाट तक सीमा पार बिजली ट्रामिशन को मंजूरी दी गई है. त्रिपक्षीय बिजली लेनदेन के लिए भारतीय ग्रिड स्टार्टिंग और एग्जिट प्वाइंट मुजफ्फरपुर सबस्टेशन (मुजफ्फरपुर-ढालकेबार 400 केवी डीसी लाइन) और बेहरामपुर सबस्टेशन (भारतीय क्षेत्र में स्थित बेहरामपुर-बेहरामारा 400 केवी 2xडीसी लाइन) हैं.
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प्रचंड के कार्यकाल में हुआ था बिजली समझौता
समाचार एजेंसी पीटीआई की हिंदी शाखा भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के कार्यकाल में त्रिपक्षीय बिजली समझौता की थी. पुष्प कमल दहल प्रचंड साल 2023 में 31 मई से तीन जून के बीच भारत यात्रा पर आए थे. इसी दौरान भारत सरकार ने नेपाल स्थित भारतीय ग्रिड के माध्यम से बांग्लादेश तक पहले त्रिपक्षीय बिजली लेनदेन की घोषणा की थी. यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी. इसका मकसद सभी पक्षों के पारस्परिक लाभ के लिए अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंधों को बढ़ाना है.
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