India Size Apparel: अक्सर देखा गया है कि रेडिमेड कपड़ों को खरीदने के बाद उसे अपने शरीर की संरचना के अनुसार फिटिंग करानी ही पड़ती है. इसका मुख्य कारण है कि ये कपड़े पश्चिमी देशों के मानक के आधार पर तैयार किये जाते हैं. लेकिन अब देश में सिले-सिलाये कपड़ों की माप को लेकर भारतीय मानक शुरू होनेवाला है. आम लोगों को अब भारतीय शारीरिक संरचना के अनुसार कपड़ों की खरीदारी का अनुभव होगा और उन्हें फिटिंग की समस्या का सामना नहीं करना होगा. दरअसल, कपड़ा मंत्रालय जल्द ही परिधानों के लिए इंडिया साइज वाले मानकों को पेश करने वाला है. कपड़ा सचिव रचना शाह ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कपड़ा मंत्रालय जल्द ही परिधानों के लिए ‘इंडिया साइज’ वाले मानकों को पेश करेगा. इन मानकों को भारतीय शारीरिक संरचना के अनुसार तैयार किया गया है. इन मानकों के आने के बाद भारतीय ऐसे कपड़ों को खरीद सकेंगे, जो उनके लिए बेहतर फिट होंगे.
अभी ब्रिटेन व अमेरिकी मानक पर बनते हैं कपड़े
इस समय भारत में उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ब्रांड के सभी कपड़े ‘छोटे’(एस), ‘मध्यम’ (एम), ‘बड़े’ (एल) और एक्ट्रा लार्ज (एक्सएल) साइज वाले कपड़ों के लिए अमेरिका या ब्रिटेन के माप का इस्तेमाल करते हैं. पश्चिमी देशों में शारीरिक संरचना में ऊंचाई, वजन या शरीर के अंगों की विशिष्ट माप भारतीयों से अलग होती है, जिसके चलते भारतीयों को फिटिंग संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
एनआइएफटी को दी गयी है जिम्मेदारी
कपड़ों के भारतीय मानक तैयार करने के लिए देश के प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआइएफटी) को जिम्मेदारी दी गयी है. एनआइएफटी इस दिशा में काम कर रहा है और इसको लेकर के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के सामने एक प्रजेंटेशन भी दिया गया था. इन मांगों को तैयार करने के लिए भारतीयों के शारीरिक बनावट का ध्यान रखा गया है. भारतीय मानक 3डी स्कैनर की मदद से तय किया जा रहे हैं. इसके लिए देश के छह शहरों – दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, शिलांग और हैदराबाद के 15 से 65 वर्ष के उम्र के 25,000 लोगों के माप को लिया गया है.
जूते-चप्पलों के लिए तैयार हो रहे भारतीय मानक
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि कपड़ों के साथ-साथ जूते-चप्पलों के लिए भी भारतीय मानक तैयार किये जा रहे हैं और आने वाले दिनों में इन्हीं मांगों का प्रयोग बाजार में किया जायेगा. गुलामी की मानसिकता की बेड़ियों को तोड़ने के लिए कपड़ों और जूतों के लिए भारतीय मानक का होना जरूरी है.
ग्राहक और कंपनियों दोनों को होगा लाभ
इंडिया साइज आने से ग्राहकों से लेकर उद्योगों दोनों को फायदा होगा. इससे कंपनियां अपने ग्राहकों के लिए अधिक फिट कपड़े बना पायेंगी और इ-कॉमर्स को भी बड़ा बूस्ट मिलने की संभावना है. इससे भारत में कपड़ा बनाने वाली कंपनियों में भी साइज को लेकर कन्फ्यूजन दूर जायेगा. वहीं, ग्राहक अपने माप के हिसाब से कपड़े चुन सकते हैं, जो उनके लिए बेहतर फिट होंगे.
तकनीकी कपड़ों का निर्यात को बढ़ावा देगी सरकार
कपड़ा सचिव ने कहा कि सरकार का लक्ष्य घरेलू तकनीकी कपड़ा क्षेत्र को अगले पांच वर्षों में 40-50 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाना है, जो इस समय 22 अरब अमेरिकी डॉलर का है. शाह ने कहा, तकनीकी वस्त्रों का हमारा निर्यात इस समय 2.5 अरब डॉलर है. हमारा मकसद इसे पांच वर्षों में 10 अरब अमेरिकी डॉलर करना है.
साइज चार्ट के लिए हुआ सर्वे
कपड़ा मंत्रालय की ओर से बताया गया था कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी भारतीय साइज चार्ट को लेकर अध्ययन करेगा और इसे पूरा होने में दो से तीन साल का समय लगेगा. इस सर्वे की लागत करीब 31 करोड़ रुपये आनी थी, जिसमें से 21 करोड़ रुपये का योगदान कपड़ा मंत्रालय की ओर से दिया जाने की बात कही गयी थी, जबकि बाकी का योगदान निफ्ट करेगा.
16.1 अरब डॉलर के रेडिमेड कपड़ों का हुआ आयात
भारत ने वित्त-वर्ष 2023 में 16.1 अरब डॉलर के रेडीमेड कपड़े आयात किया है. यह इससे पिछले साल से 1.1% अधिक है. अपारेल और क्लोदिंग एसेसरीज का आयात 94.18 करोड़ रहा, जो पिछले साल से 42% ज्यादा था.
कपड़े के 31 उत्पादों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
कपड़ा मंत्रालय ने अप्रैल में ही 31 उत्पादों के लिए दो गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किये हैं. इन उत्पादों में 31 जियो टेक्सटाइल और 12 प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल हैं. इस आदेश का मकसद वैश्विक मानकों के अनुरूप इन उत्पादों के मानक व गुणवत्ता को बेहतर करना है. तकनीकी कपड़ों का उपयोग कार्यात्मक गुणों के लिए किया जाता है. प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल में पर्दे व झालर, गैर घरेलू फर्नीचर में इस्तेमाल होने वाली कुर्सी व सोफे आदि के कवर, अग्निशामकों के लिए सुरक्षात्मक कपड़े, अग्निशामकों के लिए दस्ताने, उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों को गर्मी से बचाने वाले कपड़े, बुलेट रसिस्टेंट जैकेट सहित अन्य उत्पाद हैं. जियो टेक्सटाइल में लैमिनेटिड हाई डेनसिटी पॉलिथीन (एचपीडीइ), पीवीसी जियोमेम्ब्रेंस, नीडल पंच्ड नॉन वुवन जियो बैग्स आदि हैं. ये गुणवत्ता नियंत्रण आदेश घरेलू उत्पादों के साथ भारत को अपने उत्पादों का निर्यात करने वाले विदेशी निर्माताओं पर लागू होंगे. ये मानदंड विश्व व्यापार संगठन के मानकों के अनुकूल हैं. कपड़ा मंत्रालय दो अन्य चरणों में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी करेगा. योजना यह है कि दो अन्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश 28 उत्पादों – एग्रो टेक्साटाइल के 22 उत्पादों और मेडिकल टेक्सटाइल के छह उत्पादों के लिए जारी किये जायेंगे. तीसरे चरण में 30 से अधिक तकनीकी वस्त्रों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किये जायेंगे.
रिपोर्ट: राकेश कुमार, नेशनल कंटेंट सेल, रांची
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