Make In India: वैश्विक बाजार में भारत चीन को बड़ी टक्कर देने की हर फ्रंट पर तैयारी कर रहा है. चीन के दबदबे वाले नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के निर्यात में भी भारत जल्द अपनी पकड़ मजबूत करेगा. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपेन्द्र सिंह भल्ला ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारत वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण आपूर्ति व्यवस्था में एक प्रमुख देश के रूप में उभरेगा और निर्यातक बनेगा. उन्होंने कहा कि देश में सौर विनिर्माण क्षमता 2026 तक एक लाख मेगावाट तक पहुंच जाएगी. सरकार ने 24,000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू की है. इससे 2026 तक 48,000 मेगावाट क्षमता की सौर उपकरण विनिर्माण क्षमता स्थापित करने में मदद मिलने का अनुमान है. उन्होंने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक कार्यक्रम में कहा कि हमारा लक्ष्य देश को नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों का महत्वपूर्ण वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाना है. 24,000 करोड़ रुपये की सौर पीएलआई योजना अगले तीन साल में 48,000 मेगावाट की नई नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण सृजित करेगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 28,000 मेगावाट सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता और 6,000 मेगावाट सौर सेल विनिर्माण क्षमता है.
भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में चौथे स्थान पर
भूपेंद्र सिंह भल्ला ने कहा कि सौर ऊर्जा के लिए पीएलआई योजना के लागू के बाद देश में एक लाख मेगावाट सौर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि हमें हर साल 30,000 मेगावाट से 40,000 मेगावाट सौर ऊर्जा विनिर्माण क्षमता जोड़ने की जरूरत है. हमारे पास अब भी निर्यात के लिये पर्याप्त क्षमता है. यही कारण है कि भारत सौर उपकरण के मामले में वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में एक प्रमुख देश बनेगा. भारत का 2030 तक पांच लाख मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है. साथ ही कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 50 प्रतिशत हरित ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य देश को सौर मॉड्यूल का महत्वपूर्ण विनिर्माता बनाने का है. भारत नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है. भल्ला ने कहा कि देश में पवन ऊर्जा उपकरण (टर्बाइन) के मामले में विनिर्माण क्षमता 15,000 मेगावाट है. भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है.
अडाणी के पवन चक्की जेनरेटर को मिला अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन
अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि उसकी अनुषंगी अडाणी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन मिल गया है और अब वह 5.2 मेगावाट शृंखला वाली पवन चक्की जेनरेटरों की वैश्विक आपूर्ति के लिए उत्पादन शुरू कर पाएगी. अडाणी न्यू इंडस्ट्रीज अभी तक घरेलू पवन ऊर्जा कंपनियों के लिए 5.2 मेगावाट के पवन चक्की जेनरेटरों का उत्पादन एवं आपूर्ति कर रही थी. अडाणी एंटरप्राइजेज ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा कि अडाणी विंड के बनाए देश के सबसे बड़े पवन चक्की जेनरेटरों को विंडगॉर्ड जीएमबीएच से प्रमाणपत्र मिल गया है. यह प्रमाणपत्र मिलने से अडाणी विंड वैश्विक बाजारों के लिए इस शृंखला के जेनरेटरों का उत्पादन शुरू कर पाएगी. अडाणी विंड, अडाणी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड की पवन ऊर्जा समाधान इकाई है. अडाणी न्यू इंडस्ट्रीज के निदेशक विनीत जैन ने कहा कि यह प्रमाणन कंपनी की 5.2 मेगावाट शृंखला के पवन चक्की जेनरेटरों की गुणवत्ता एवं मजबूती को स्थापित करता है.
भारत ने 76% तक घटाया चीन से सोलर मॉड्यूल का आयात
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 2023 की पहली छमाही में चीन से सौर मॉड्यूल के आयात में 76 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है. बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई. यह सौर विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. वैश्विक ऊर्जा शोध संस्थान एम्बर की रिपोर्ट के अनुसार, सालाना आधार पर चीन से भारत का सौर मॉड्यूल आयात 2022 की पहली छमाही में 9.8 गीगावॉट से घटकर 2023 में इसी अवधि में मात्र 2.3 गीगावॉट रह गया. एम्बर के भारत विद्युत नीति विश्लेषक नेशविन रोड्रिग्स ने कहा कि सौर मॉड्यूल आयात के लिए चीन पर भारत की निर्भरता 2022 के बाद वास्तव में कम हो रही है. हालिया नीतिगत हस्तक्षेपों से घरेलू विनिर्माण गति पकड़ रहा है. जैसा कि भारत सौर विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के करीब पहुंच गया है, चीनी मॉड्यूल तथा सेल पर निर्भरता अब कोई बाधा नहीं है.
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