नई दिल्ली : अमेरिका के सबसे बड़े सिलिकॉन वैली बैंक के बंद होने के बाद भारतीय कंपनियों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है. वर्ष 2008 में लीमैन ब्रदर्स के ध्वस्त होने के बाद पूरी दुनिया को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा था. अब उसके एक दशक बाद अमेरिका में एक बार फिर बैंकिंग संकट पैदा हो गया है. मीडिया की रिपोर्ट्स में इस बात की चर्चा की जा रही है कि सिलीकॉन वैली बैंक के बंद होने का असर भारत के स्टार्टअप्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर देखने को मिल सकता है. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भारत की प्रमुख सूचना प्रौद्योगिक (आईटी) कंपनियों और स्टार्टअप्स ने इस बैंक में निवेश कर रखा है, जिससे अगले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार पर भी इसका असर दिखाई देने की आशंका जताई जा रही है.
अंग्रेजी के समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार की देर रात जब अमेरिका के सबसे बड़े सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) को बंद करने की घोषणा की गई, तो भारत के स्टार्टअप्स संस्थापकों में अफरा-तफरी मच गई. उन्हें परेशान होने के पीछे अहम कारण यह बताया जा रहा है कि उनके सिलीकॉन वैली बैंक में खाते थे और उन्होंने इस बैंक में 2,50,000 डॉलर से अधिक की रकम जमा की हुई है. हालांकि, अमेरिकी बैंक विनियामकों की ओर से फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एफडीआईसी) को रिसीवर नियुक्त किया गया है. एफडीआईसी ने उन्हें भरोसा दिया है कि उनकी जमा रकम बीमित है और 2,50,000 डॉलर से अधिक रकम वाले खातों वाली कंपनियां टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी उद्योग सिलिकॉन वैली बैंक का सबसे बड़ा ग्राहक हैं और इसमें बड़ी संख्या में भारतीय स्टार्टअप्स शामिल हैं. खासकर, सर्विस के तौर पर सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाले स्टार्टअप्स शामिल हैं. ये स्टार्टअप्स बैंक के अमेरिकी ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करती हैं. भारतीय स्टार्टअप्स के एक संस्थापक ने शनिवार को बताया कि हमारे एसवीबी खाते में करीब 2 मिलियन डॉलर हैं. हम टोल फ्री नंबर पर लगातार संपर्क कर रहे हैं. उधर, एफडीआईसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बैंक के डिपॉजिटर्स सोमवार 13 मार्च तक उनकी बीमित जमा राशि तक पहुंच हो जाएगी. हालांकि, 2022 के अंत में बैंक द्वारा एफडीआईसी के सामने पेश किए आंकड़ों में इस बात का जिक्र किया गया है कि इसके 175 अरब डॉलर की जमाओं में से करीब 89 फीसदी रकम का बीमा नहीं किया गया है.
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बता दें कि कैलिफोर्निया के बैंक नियामक, वित्तीय संरक्षण और नवाचार विभाग की ओर से शुक्रवार को बैंक को बंद करने का आदेश दिया गया. इस आदेश के अनुसार, नौ मार्च को कारोबार की समाप्ति पर सिलिकॉन वैली बैंक के पास करीब 958 मिलियन डॉलर की नकदी बची हुई थी. यह आदेश ऋणदाता द्वारा सामना किए जाने वाले बैंक संचालन के पैमाने पर प्रकाश डालता है, जिसे सरकार नियामक फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प के रिसीवरशिप में रखा गया था. निवेशकों की ओर से निकासी के प्रयास का पैमाना इतना बड़ा था कि बैंक में नकदी ही समाप्त हो गई.
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