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दिसंबर की तिमाही में घटकर 4.7 फीसदी रह गयी देश की आर्थिक वृद्धि दर

देश की आर्थिक वृद्धि दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से दिसंबर तिमाही के लिए जारी किये गये आंकड़ों में भी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को कम करके आंका गया है. मांग और आपूर्ति में लगातार आ रही कमी और देश में घटती आम आदमी की क्रय शक्ति का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रही है.

नयी दिल्ली : देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में धीमी पड़कर 4.7 फीसदी रह गयी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार, इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.6 फीसदी रही थी. चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में आर्थिक वृद्धि दर 5.1 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.3 फीसदी थी.

एनएसओ ने 2019-20 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 5.6 फीसदी और दूसरी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी कर दिया है. एनएसओ ने पिछले महीने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. वहीं, रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी रहने की संभावना जतायी है. चीन की आर्थिक वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर 2019 में 6 फीसदी रही, जो 27 साल से अधिक समय का न्यूनतम स्तर है. वहीं, कैलेंडर वर्ष 2019 में चीन की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही, जो तीन दशक में सबसे कम है.

उधर, कोयला, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन बढ़ने से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर इस साल जनवरी में बढ़कर 2.2 फीसदी रही. शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, पिछले साल जनवरी में बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर 1.5 फीसदी रही थी. कोयला, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली उत्पादन में क्रमश: 8 फीसदी, 1.9 फीसदी और 2.8 फीसदी की वृद्धि हुई.

आंकड़ों के अनुसार, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस तथा उर्वरक क्षेत्र में आलोच्य महीने के दौरान गिरावट दर्ज की गयी. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 0.6 फीसदी रही है, जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 4.4 फीसदी रही थी. आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में अगस्त, 2019 से नवंबर, 2019 तक गिरावट दर्ज की गयी थी.

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