नई दिल्ली : खाने-पीने का सामान और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नरमी के बीच खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में मामूली घटकर 6.44 फीसदी पर रही. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 फीसदी, जबकि फरवरी, 2022 में 6.07 फीसदी थी. खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर फरवरी में घटकर 5.95 फीसदी रही, जो जनवरी के छह फीसदी से कम है. हालांकि, मीडिया की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि फरवरी में खुदरा महंगाई में आई गिरावट आरबीआई की उच्च सीमा से भी ऊपर है. लिहाजा, केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में फिर बढ़ोतरी कर सकता है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर और दिसंबर, 2022 को छोड़कर खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी, 2022 के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजक दायरे की ऊपरी सीमा छह फीसदी से ऊपर रही है. आरबीआई ने 2022-23 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रस्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. आरबीआई बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए पिछले साल मई से अब तक नीतिगत में 2.5 फीसदी वृद्धि कर चुका है.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 फीसदी के मुकाबले फरवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति थोड़ी कम होकर 6.44 फीसदी हो गई. हालांकि, लगातार दूसरे महीने के लिए मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6 फीसदी के ऊपरी स्तर से ऊपर रहा. यह मौद्रिक प्राधिकरण को उधार लेने की लागत में वृद्धि को सात वर्षों में उच्चतम स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर सकता है.
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इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि संभावनाओं के अनुकूल सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति मुश्किल से फरवरी 2023 में 6.44 फीसदी पर आई है. उन्होंने हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप, अनाज, दूध और फलों की मुद्रास्फीति के साथ-साथ पान, तंबाकू और नशीले पदार्थों और आवास में गिरावट आने से महंगाई पर काबू पाने में सहयोग मिला है. उन्होंने कहा कि सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के 6 फीसदी से ऊपर रहने का मतलब यह कि मौद्रिक नीति समिति आगामी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी कर सकती है.
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