त्योहारी सीजन में आवश्यक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि के बाद खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि प्याज की कीमतें अप्रत्याशित रूप से नहीं बढ़ी हैं. राज्य सरकारें भी इस बात से सहमत हैं, इसलिए प्याज का निर्यात रोकने का अभी कोई फैसला नहीं किया गया है. केंद्र की ओर से 26 रुपये किलो प्याज राज्य सरकारों को दिया जा रहा है.
सुधांशु पांडे ने कहा कि सरसों तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है लेकिन इस बार सरसों के तेल का उत्पादन 10 लाख मीट्रिक टन बढ़ा है. इसलिए अगले साल फरवरी तक कीमतों में गिरावट आ जायेगी.
गौर करने वाली बात यह है कि इंडोनेशिया, मलेशिया में श्रम समस्याओं के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम आयल की कीमत बढ़ रही है लेकिन भारत में यह घट रही है. इसलिए आवश्यक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि को लेकर कोई गंभीर चिंता की बात इन दिनों नजर नहीं आ रही है.
Also Read: डब्ल्यूएचओ से कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिलने में इसलिए हो रही है देरी…
त्योहारी सीजन में देश में प्याज, टमाटर सहित कई सब्जियां और खाद्य तेल के दाम भी अप्रत्याशित रूप से बढ़े हैं. यही वजह है कि आज खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने स्पष्टीकरण दिया है.
फरवरी में ताजा फसल आने के बाद सरसों तेल के भाव में नरमी की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि देश के द्वारा आयात किए जाने वाले अन्य खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण सरसों के तेल की कीमतों पर असर पड़ा है. देश सबसे अधिक पाम तेल का आयात करता है, उसके बाद सोयाबीन का स्थान है, जबकि सरसों तेल की हिस्सेदारी मात्र 11 प्रतिशत है.
हालांकि, सरकार द्वितीयक खाद्य तेलों, विशेष रूप से चावल भूसी के तेल के उत्पादन में सुधार और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि चावल की भूसी के तेल का उत्पादन 11 लाख टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 18-19 लाख टन करने की संभावना है.
Posted By : Rajneesh Anand
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.