इंफोसिस के शुरुआती दिनों में जब नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) एक बार किसी काम के सिलसिले में अमेरिका गये थे तो एक तुनकमिजाज के अमेरिकी व्यवसायी ने उन्हें अपने घर के भंडार कक्ष में एक बड़े बक्से पर सुलाया था, जबकि उनके घर में चार शयनकक्ष थे. भारतीय-अमेरिकी लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी ने सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के जीवन के शुरुआती वर्षों के बारे में बताते हुए एक पुस्तक लिखी है. इस पुस्तक में उनके बारे में ऐसी और भी कई बातें बताई गई हैं. जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित ‘एन अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायण मूर्ति’ में मूर्ति दंपति के शुरुआती वर्षों के बारे में बताया गया है, जिसमें उनके प्रेमालाप से लेकर ‘इंफोसिस’ की स्थापना के वर्षों तक और उनकी शादी से लेकर माता-पिता बनने तक की कहानी है. न्यूयॉर्क स्थित कंपनी ‘डेटा बेसिक्स कॉरपोरेशन’ के प्रमुख डॉन लिल्स एक तेज-मिजाज वाले क्लाइंट (ग्राहक) थे और वह मूर्ति को ज्यादा पसंद नहीं करते थे.
Also Read: Infosys वाले नारायण मूर्ति से मिलकर TrueCaller के सीईओ एलन ममेदी ने कही दिल छू लेनेवाली बात
किताब में लिखा गया कि वह अक्सर सेवा के बदले में भुगतान करने में देरी करते थे और इस बात को लेकर मूर्ति उनके गुस्से का निशाना बन जाते थे, वह अपनी बात पर अड़े रहते थे और सेवाओं के लिए समय पर भुगतान करने से इनकार कर देते थे. जब मूर्ति और उनके इंफोसिस सहयोगियों को मैनहट्टन में उनसे मिलने जाना होता था तो डॉन उन्हें होटल बुक करने के लिए समय पर अनुमति नहीं देते थे. एक बार जब मूर्ति क्लाइंट के काम के लिए अमेरिका गए तो डॉन ने उन्हें भंडार कक्ष में एक बड़े बक्से पर सुलाया, जबकि उनके घर में चार शयनकक्ष थे. इसके अलावा, डॉन ने अंतिम समय पर कई मांग रखी, जिन्हें मूर्ति को पूरा करना पड़ा. मूर्ति ने अपनी नयी कंपनी के खातिर डॉन के इस व्यवहार को सहन किया, लेकिन बक्से पर सुलाने वाली घटना ने वास्तव में मूर्ति को झकझोर दिया. उन्होंने पत्नी सुधा को बताया कि मेरी मां कहा करती थीं कि मेहमान भगवान के समान होता है और आप जिस तरह मेहमानों के साथ व्यवहार करते हैं उससे पता चलता है कि आप वास्तव में किस तरह के इंसान हैं.
नारायण मूर्ति ने कहा कि जब मेरे पिता जब बिना सूचना के किसी को घर पर आमंत्रित करते थे तो वह (मां) अक्सर मेहमान को अपने हाथ से बना खाना परोसती थीं और खुद बिना खाना खाए ही सो जाती थीं और डॉन यहां मुझे बिना खिड़की वाले भंडार कक्ष में एक बड़े बक्से पर सुलाकर खुद अपने बिस्तर पर नींद का आनंद ले रहा था. पुस्तक में यह भी लिखा गया कि कैसे एक अच्छी इंजीनियर होने के बावजूद मूर्ति अपनी पत्नी के इन्फोसिस में शामिल होने के खिलाफ थे. पुस्तक में इसी तरह के कई अन्य बातें भी बताई गई हैं.
(भाषा इनपुट)
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.