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Share Market: इजरायल-हमास युद्ध से विदेशी निवेशकों का मोह भंग, भारतीय शेयर बाजार से निकाला 9,800 करोड़ रुपये

Share Market: सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. एफपीआई मार्च से अगस्त तक इससे पिछले छह माह के दौरान लगातार लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों में 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे.

Share Market: अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने तथा इजराइल-हमास संघर्ष की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investment) ने अक्टूबर में अबतक भारतीय शेयर बाजारों से 9,800 करोड़ रुपये की निकासी की है. इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. एफपीआई मार्च से अगस्त तक इससे पिछले छह माह के दौरान लगातार लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों में 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे. फिडेलफोलियो इन्वेस्टमेंट्स के स्मॉलकेस प्रबंधक और संस्थापक किसलय उपाध्याय ने कहा कि उस समय एफपीआई का यह प्रवाह अमेरिका में मुद्रास्फीति में गिरावट की वजह से था. अमेरिका में महंगाई दर फरवरी के छह प्रतिशत से गिरकर जुलाई में 3.2 प्रतिशत पर आ गई थी. इसके अलावा मई से अगस्त के दौरान फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की वजह से भी एफपीआई का प्रवाह बढ़ा था.

बाजार को लेकर क्या है एक्सपर्ट की राय

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक एवं प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश न केवल वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरों से, बल्कि इजराइल-हमास संघर्ष से भी प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक तनाव ऐसा जोखिम है जिसकी वजह से भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी पूंजी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने 13 अक्टूबर तक एफपीआई ने 9,784 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की बिकवाली की प्रमुख वजह अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल का लगातार बढ़ना है. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के बॉन्ड बाजार में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश 1.1 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 33,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक क्या होता है

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक व्यक्ति या संगठन होते हैं जो अपने वित्तीय संसाधनों को विदेशी निवेशों में लगाते हैं. वे अपने धन को विभिन्न विदेशी वित्तीय उपकरणों में निवेश करते हैं, जैसे कि शेयरों, बॉन्ड्स, विदेशी मुद्रा बाजार, और अन्य वित्तीय उपकरण. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का उद्देश्य अपनी निवेश प्रत्याशा बढ़ाना, वित्तीय विविधता बढ़ाना और अधिकतम लाभ प्राप्त करना है. वे अपने पोर्टफोलियो को विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न विदेशी वित्तीय उपकरणों में वित्तित करते हैं ताकि अनुकूल उपार्जन की संभावना हो. इन निवेशकों का विदेशी बाजारों में विदेशी मुद्रा में निवेश करने का विशेष दृष्टिकोण होता है. वे विश्व भर में हो रहे घटनाओं, राजनीतिक घटनाओं, और अर्थव्यवस्था के संकेतों का अध्ययन करते हैं ताकि उनका निवेश विवेकपूर्ण हो. कुछ कार्यों के रूप में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक निवेश कंपनियों, हेज फंड, और अन्य विदेशी निवेशकों के साथ साझेदारी कर सकते हैं ताकि अपने निवेश का विवेकपूर्ण निर्णय कर सकें. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश विभिन्न विदेशी बाजारों के रहनुमाई में उन्हें सहायता कर सकता है और उनके निवेशों को विवेकपूर्ण बनाने के लिए साथी हो सकता है.

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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में कैसे करते हैं निवेश

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में विदेशी निवेशक सबसे पहले प्लान बनाते हैं. यह योजना आपके लक्ष्यों, आर्थिक स्थिति और निवेश की अवधि को ध्यान में रखती है. एक वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें जो विदेशी निवेश में मदद कर सकता है. विदेशी निवेशों के लिए सही सलाह प्राप्त करना महत्वपूर्ण है. विभिन्न विदेशी बाजारों और वित्तीय उपकरणों का अध्ययन करें ताकि आप अपने निवेश को विवेकपूर्ण रूप से कर सकें. विदेशी निवेश के लिए विभिन्न विकल्प जैसे कि विदेशी शेयरों, बॉन्ड्स, निवेशी निवेश फंड (FII), विदेशी वाणिज्यिक चुनौतियों (ADR), और विदेशी विनिमय विपणियों में निवेश कर सकते हैं. एक विदेशी निवेश खाता खोलने के लिए एक विदेशी बैंक या वित्तीय संस्था से संपर्क करें. अपने विदेशी निवेशों की प्रगति पर नजर रखना महत्वपूर्ण है और आवश्यकता के हिसाब से व्यवस्थित करना भी आवश्यक है. विदेशी निवेशों की सुरक्षा के लिए सबसे उत्तम निवेश तंत्रों का पालन करें.

(भाषा इनपुट के साथ)

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