ITR filing last date : अगर आप इनकम टैक्सपेयर्स (Income taxpayers) हैं, तो आप अब सचेत हो जाएं. आने वाले एक सप्ताह के अंदर वित्त वर्ष 2019-20 (FY 2019-20) या निर्धारण वर्ष 2020-21 (AY 2020-21) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख खत्म हो जाएगी. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2020 निर्धारित की है. लेकिन, आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आईटीआर दाखिल करने के लिए आखिरी तारीख के आने का इंतजार करना बुद्धिमानी नहीं है.
आखिरी तारीख से पहले करें आईटीआर दाखिल
अगर आपने अब तक निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए आईटीआर दाखिल नहीं किया है, तो जल्दी करें. आखिरी तारीख से पहले आईटीआर दाखिल करने के कई फायदे हैं. समय से पहले आईटीआर दाखिल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी प्रकार की गलती होने पर इन्हें सुधारने का मौका मिल जाता है और टैक्सपेयर जुर्माना और नोटिस से बच जाते हैं. इसका दूसरा फायदा यह है टैक्सपेयर्स को जल्दी इनकम टैक्स रिफंड मिल जाता है.
वर्ष 2020-21 का फॉर्म 26 एएस करें डाउनलोड : आईटीआर फॉर्म 26 एएस में वित्त वर्ष 2019-20 में हुए फिक्स्ड इनकम और टीडीएस की पूरी जानकारी होती है. साथ ही, इसमें वित्त वर्ष 2019-20 के लिए चुकाए गए एडवांस टैक्स (Advance Tax) की भी जानकारी होती है. इसके अलावा, इसमें अचल संपत्ति यानी फिक्स्ड एसेट के लेन-देन, क्रेडिट कार्ड की निर्धारित सीमा से अधिक के पेमेंट्स आदि की जानकारी होती है. ITR में अगर फॉर्म 26 एएस में दी गई जानकारी से अलग जानकारी दी जाती है, तो इनकम डिपार्टमेंट टैक्सपेयर को नोटिस भेजकर जवाब मांगता है. इसलिए जरूरी है कि आईटीआर दाखिल करने से पहले सारी डिटेल्स का फॉर्म 26 एएस से मिलान कर लें.
वित्त वर्ष 2018-19 के टैक्स रिटर्न को करें डाउनलोड : निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए आईटीआर दाखिल करने से पहले वित्त वर्ष 2018-19 का टैक्स रिटर्न डाउनलोड कर लें. इससे आईटीआर दाखिल करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेजों की सूची बनाना आसान हो जाएगा. इसमें बैंक स्टेंटमेंट, इंटरेस्ट सर्टिफिकेट्स के अलावा अगर कोई फॉर्वर्ड लॉस है, तो उसकी जानकारी होती है. इनकम टैक्स एक्ट के फॉर्वर्ड लॉस को गेन्स से ऑफसेट किया जा सकता है.
रेजिडेंशियल स्टेटस की जानकारी रखें : इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक, किसी व्यक्ति के रेजिडेंशियल स्टेटस के आधार पर उसकी टैक्स देनदारी (Tax liability) निर्धारित की जाती है. अगर कोई व्यक्ति अधिकतर समय देश में ही निवास कर रहा है और कुछ समय के लिए विदेश यात्रा पर गया हो, तो उन्हें भारत का नागरिक माना जाएगा और उनकी ग्लोबल इनकम पर टैक्स की देनदारी बनेगी. अगर टैक्सपेयर की आय विदेश से भी हुई है, तो उस पर टैक्स चुकाना होगा. वहीं, अगर कोई भारतीय अधिकतर समय विदेशों में रहा है, तो वह एनआरआई या भारत का निवासी हो सकता है, लेकिन अस्थायी निववासी नहीं रहेगा और उसकी सिर्फ उसी इनकम पर टैक्स देनदारी बनेगी जो भारत में हुई है.
सही टैक्स फॉर्म चुनें : सही टैक्स फॉर्म का चयन आईटीआर दाखिल करने के लिए सबसे ज्याजा जरूरी है. अगर आपने गलत टैक्स फॉर्म का चयन किया है, तो आपका आईटीआर अवैध माना जाएगा. आप अपने इनकम, कैटेगरी, रेजिडेंशियल स्टेटस के आधार पर सही टैक्स फॉर्म का चुनाव करें. इससे आईटीआर दाखिल करने का बाद यह इनवैलिड नहीं माना जाएगा और आप नोटिस मिलने से बच जाएंगे. साथ ही, समय पर आपको टैक्स रिफंड भी समय पर मिल जाएगा.
फॉर्म में सही-सही भरें जानकारियां : इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कर्मचारी कोई कन्फ्यूजन होने पर टैक्सपेयर्स से उनके द्वारा आईटीआर फॉर्म में भरे गए ई-मेल एड्रेस, मोबाइल नंबर आदि डिटेल्स के जरिये संपर्क करते हैं. इसलिए अपने कम्युनिकेशन एड्रेस के साथ ई-मेल एड्रेस और कांटैक्ट नंबर भी वेरिफाई करें. साथ ही, टैक्सपेयर इनकम टैक्स के पोर्टल पर भी अपने प्रोफाइल पेज पर ये जानकारियां अपडेट कर दें.
इन दस्तावेजों को रखें तैयार : आईटीआर दाखिल करने से पहले फॉर्म-16, रेंटल एग्रीमेंट्स, प्रॉपर्टी टैक्स रिसीट्स, होम लोन के लिए इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट, बैंक लोन के इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, कैपिटल गेन स्टेटमेंट, टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट्स (मेडीक्लेम, इंश्योरेंस प्रीमियम, डोनेशंस आदि) जैसे डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें. बैंक स्टेटमेंट को जरूर चेक कर लें कि कोई इनकम या एसेट टैक्स रिटर्न में दिखाने से छूट तो नहीं गया है. साथ ही, सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला इंटरेस्ट भी दिखाएं.
टैक्स डिडक्शन को भी दर्ज करें : इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, टैक्स छूट वाले एसेट्स पर टैक्स नहीं चुकाना होता है. इसके बावजूद, इस इनकम को टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहिए. इस प्रकार की इनकम के लिए प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन जरूरी है, क्योंकि अगर यह रकम अधिक हो जाती है, तो टैक्स अथॉरिटी स्क्रूटनी भी कर सकते हैं.
बैंक अकाउंट का प्री-वैलिडेशन जरूरी : इनकम टैक्स अधिकारी उन्हीं बैंक अकाउंट में टैक्स रिफंड करते हैं, जो बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेटेड होते हैं. इसलिए आईटीआर फाइल करने से पहले अपने बैंक अकाउंट को वैलिडेट कर लें.
विदेशी इनकम और संपत्तियों की जानकारी : अगर किसी टैक्सपेयर के पास विदेश में संपत्ति है या भारत के बाहर किसी भी बैंक में अकाउंट है और वह रेजिडेंट और ऑर्डिनरिली रेजिडेंट के तौर पर आता है, तो टैक्स रिटर्न में विदेश से हुई आय को दिखाना होगा, क्योंकि इस पर टैक्स देनदारी बनती है.
एसेट्स और लायबिलिटीज की भी दें जानकारी : अगर टैक्सपेयर का इनकम 50 लाख से अधिक है तो उसे वित्त वर्ष के अंतिम दिन तक अपने सभी एसेट्स और लाइबिलिटीज की जानकारी देना होता है. इसमें फिक्स्ड एसेट के सथ बैंक बैलेंस, लोन, कैश इन हैंड, शेयर और सिक्योरिटीज जैसे एसेट्स की भी जानकारी देनी होती है.
ई-वेरिफिकेशन जरूर कराएं : अगर कोई आईटीआर बिना वेरिफिकेशन के फाइल किया जाता है, तो वह इनवैलिड माना जाएगा. ऐसे में, ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने के बाद उसे 120 दिनों के भीतर आधार या नेट बैंकिंग के जरिए वेरिफाई करना होता है. इसके अलावा, आईटीआर फॉर्म 5 की रसीद को साइन करके 120 दिनों के अंदर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेज सकते हैं.
Also Read: Income Tax Return 2020 : ITR भरने की आखिरी तारीख कब है? यहां जानिए
Posted By : Vishwat Sen
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.