11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Labour Code Bills : सरकार की इजाजत के बिना कंपनियों में हो सकती हैं छंटनी, शर्तें लागू

Labour Code Bills : संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख लेबर कोर्ड बिल को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया. इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया. इन तीनों संहिताओं को लोकसभा ने मंगलवार को पारित किया था और अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.

Labour Code Bills : संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख लेबर कोर्ड बिल को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया. इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया. इन तीनों संहिताओं को लोकसभा ने मंगलवार को पारित किया था और अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.

300 कर्मचारियों वाली कंपनी बिना इजाजत के कर सकती है छंटनी

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा कि श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है. उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है.

रोजगार सृजन के लिए नहीं है उचित

गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं. उन्होंने सदन को बताया कि इस सीमा को बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा और नियोक्ताओं को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा.

मजदूरी संहिता विधेयक, 2019 पहले ही हो चुका है पारित

उन्होंने कहा कि ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे. सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है.

बुधवार को राज्यसभा में पास किए गए ये तीन विधेयक

राज्यसभा में बुधवार को पारित हुए विधेयक संहिताओं में उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्यदशा संहिता 2020′, ‘औद्योगिक संबंध संहिता 2020′ और ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 शामिल हैं. इनमें किसी प्रतिष्ठान में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा को विनियमित करने, औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान किये गए हैं.

इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल-2020

इस विधेयक में कंपनी का अधिकार बढ़ेगा. जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी. अब तक ऐसा वे कंपनियां कर सकती थीं, जिनमें 100 से कम कर्मचारी हों. अब नए बिल में इस सीमा को बढ़ाया गया है. छंटनी की इजाजत उन्हीं को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज़ औसतन 300 से कम ही रही हो. सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है. नए कानून के अनुसार कोई भी कंपनी, फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को सजा देने, निकालने, प्रमोशन में पक्षपात जैसे नियम पूरी तरह से कंपनी के हाथों में आ जाएंगे.

सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020

सोशल सिक्योरिटी कोड एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के निर्माण का प्रस्ताव करती है जो असंगठित श्रमिकों, गि​ग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए उपयुक्त योजना तैयार करने की जिम्मेदारी लेगा. यह श्रमिकों के इन वर्गों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में भी लाता है जिसमें जीवन और विकलांगता बीमा, भविष्य निधि, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ और कौशल उन्नयन शामिल हैं. इस कोड में श्रमिकों के तीन वर्गों को सामाजिक सुरक्षा रकम प्रदान करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष के गठन का भी प्रस्ताव है.

ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020

ये बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है. वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी. महिलाओं के लिए वर्किंग आवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा. शाम 7 बजे शाम के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में 6 दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता. ओवरटाइम पर ज्यादा पेमेंट करना होगा. बिना अप्वॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं होगी.

Also Read: राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयक समेत 25 विधेयकों को मिली मंजूरी

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें