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Special Story: भारत के फास्टेस्ट ग्रोविंग इकोनॉमी के दर्जा पर मंडरा रहा खतरा, चिंता में है मोदी सरकार

आर्थिक विशेषज्ञों और सांख्यिकी मंत्रालय के अनुमान को मानें, तो आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी या इससे नीचे जाने पर भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Economy) का दर्जा खो सकता है. डिमांड में नरमी आने की वजह से देश की वृद्धि दर में गिरावट आने की आशंका है.

नई दिल्ली : एक फरवरी 2023 को संसद में नए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट (General Budget) पेश होना है और आगामी 31 मार्च को चालू वित्त वर्ष 2022-23 समाप्त हो जाएगा, लेकिन चालू वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही के पहले महीने में ही केंद्र की मोदी सरकार चिंता में है. सरकार के चिंतित होने का कारण यह है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी तक रहने का अनुमान जाहिर किया गया है. कहा यह जा रहा है कि डिमांड में नरमी आने की वजह से देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आने की आशंका है. आर्थिक विशेषज्ञों और सांख्यिकी मंत्रालय के अनुमान को मानें, तो आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी या इससे नीचे जाने पर भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Economy) का दर्जा खो सकता है.

भारत क्यों खोएगा फास्टेस्ट ग्रोविंग इकोनॉमी का दर्जा

मीडिया की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर सात फीसदी पर आने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में नरमी के चलते देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सालाना आधार पर घटकर सात फीसदी रह सकती है. ऐसा होने पर भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा गंवा सकता है.

चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी रह सकती है आर्थिक वृद्धि दर

रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकी मंत्रालय के पहले आधिकारिक अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर सात फीसदी रहेगी, जो बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 फीसदी थी. भारत की आर्थिक वृद्धि दर को सात फीसदी तक रहने वाला यह अनुमान सरकार के पहले के 8 से 8.5 फीसदी की वृद्धि के अनुमान से काफी कम है. हालांकि, यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6.8 फीसदी के अनुमान से अधिक है.

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भारत की वृद्धि दर सऊदी अरब से कम रहने का अनुमान

मीडिया की रिपोर्ट में यह आशंका भी जाहिर की गई है कि भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर आरबीआई यह अनुमान अगर सही रहा, तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर सऊदी अरब से कम रहेगी. सऊदी अरब की वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है. सही मायने में देखें, तो भारत की जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.3 फीसदी रही थी, जबकि इस अवधि में सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था 8.7 फीसदी की दर से बढ़ी थी.

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