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Corporate NPS: निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सालाना 6 हजार का निवेश जरूरी, यहां जानें जरूरी डीटेल्स

केंद्र सरकार ने दिसबंर 2011 में कॉरपोरेट कर्मियों के लिए भी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लागू कर दिया था. ऐसे में एनपीएस का कॉरपोरेट मॉडल निजी क्षेत्र कर्मियों के लिए रिटायरमेंट के बाद पेंशन का शानदार विकल्प है.

NPS for Private Sector Employees: अगर आप रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए अच्छा ऑप्शन तलाश रहे हैं, तो नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) आपके लिए बढ़िया विकल्प है. इसमें निवेश कर आप रिटायरमेंट के बाद बड़ा फंड पा सकते हैं. वहीं, इसमें रिस्क फैक्टर भी नहीं के बराबर है.

कॉरपोरेट कर्मियों के लिए भी NPS

आपको बता दें कि जब यह योजना 1 जनवरी 2004 से लागू हुई थी, तो यह सैन्य बलों को छोड़ अन्य सभी केंद्रीय कर्मियों के लिए ही उपलब्ध थी. केंद्र सरकार ने दिसबंर 2011 में कॉरपोरेट कर्मियों के लिए भी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लागू कर दिया था. ऐसे में एनपीएस का कॉरपोरेट मॉडल निजी क्षेत्र कर्मियों के लिए रिटायरमेंट के बाद पेंशन का शानदार विकल्प है.

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निजी क्षेत्र के कर्मी एनपीएस के लिए कैसे करें योगदान?

कॉरपोरेट एनपीएस मॉडल के तहत कर्मी अपने सर्विस पीरियड में कंट्रिब्यूशन कर रिटायरमेंट प्लान कर सकते हैं. कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड के लिए योगदान का विकल्प चुन सकती हैं. कॉरपोरेट मॉडल के तहत कंपनी और कर्मचारी से तीन तरह से योगदान कर सकते हैं. इसमें पहला है- दोनों बराबर योगदान करें. दूसरा है- कंपनी और कर्मी का योगदान बराबर न हो. और तीसरा है- या तो कंपनी योगदान करे या कर्मी.

अधिकतम और न्यूनतम योगदान

एनपीएस के नियमों के तहत टियर I खाते में एक बार में कम से कम 500 रुपये और सालाना न्यूनतम 6 हजार रुपये का योगदान होना जरूरी है. इसके साथ ही, साल भर में एक बार योगदान होना जरूरी है. टियर II खाते में न्यूनतम 250 रुपये का योगदान जरूरी है. वहीं, इसमें वित्त वर्ष के आखिरी में कम से कम दो हजार रुपये का बैलेंस होना जरूरी है. इसमें भी सालाना कम से कम एक बार कंट्रिब्यूशन होना जरूरी है. इसमें अधिकतम योगदान की कोई सीमा नहीं है.

टैक्स बेनिफिट्स भी मिलेंगे

एनपीएस में निवेश पर कर लाभ भी मिलते हैं. अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी है और आपके सैलरी स्ट्रक्चर के हिसाब से कंपनी आपके एनपीएस खाते में निवेश कर सकती है तो आप बेसिक और डीए के 10 फीसदी तक के डिडक्शन का दावा कर सकते हैं. सरकारी क्षेत्र के मामले में डिडक्शन की यह सीमा 14 प्रतिशत तक है. यही नहीं, कर्मचारी का कंट्रिब्यूशन भी सेक्शन 80सीसीडी (1) और 80सीसीडी (2), 1(बी) के तहत टैक्सेबल इनकम से कटेगा.

क्या हैं निवेश विकल्प?

एनपीएस योजना के नियमों के तहत कॉरपोरेट खुद निवेश विकल्पों को चुन सकते हैं या इसे चुनने के लिए कर्मियों के विवेक पर छोड़ सकते. कुमार के अनुसार, अगर कॉरपोरेट इनवेस्टमेंट ऑप्शन चुनता है, तो यह सभी कर्मचारियों पर लागू होगा और अगर कर्मचारी अपना ऑप्शन खुद चुनेंगे, तो वे एक्टिव या ऑटो-च्वाइस इंवेस्टमेंट में से अपनी पसंद के मुताबिक ऑप्शन चुन सकेंगे. कर्मचारी अपना इनवेस्टमेंट ऑप्शन कभी भी बदल सकते हैं.

कैसे कर सकते हैं रजिस्टर?

एनपीएस के लिए रजिस्टर करने के इच्छुक कॉरपोरेट यह काम प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (PoP) के जरिये कर सकते हैं. यह कर्मचारियों के रजिस्ट्रेशन में मदद करेगी. पीओपी को बाद में कर्मचारी अपनी पसंद के अनुसार बदल सकते हैं. इसके जरिये कर्मियों को दोनों खाते टियर-1 और टियर-2 में खोलने में मदद मिलती है. अगर किसी ने कंपनी बदल ली, तो सहूलियत के लिए उसका मौजूदा एनपीएस खाता भी माइग्रेट होगा. इसमें कुछ फॉर्म भरकर प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस यानी पीओपी (PoP) पर सबमिट करना होता है.

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