Economic Survey 2021-22: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आम बजट 2022 (Union Budget 2022) से पहले सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वे 2021-22 (Economic Survey) पेश किया. इसमें कहा गया है कि कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) ने कोविड-19 (Covid19) के झटके को सहने के प्रति अपनी जिजीविषा को प्रदर्शित किया है. इसके चालू वित्त वर्ष में 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है.
आर्थिक सर्वे में सरकार को फसल विविधीकरण, संबद्ध कृषि क्षेत्रों और नैनो यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को प्राथमिकता देने का सुझाव भी दिया गया है. आर्थिक सर्वे 2021-22 ने ड्रोन जैसी नयी प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ाने के अलावा कृषि अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) तथा जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ाने पर भी जोर दिया है.
आर्थिक सर्वे 2021-22 में कहा गया है, ‘कृषि और संबद्ध क्षेत्र ने कोविड-19 के झटके के प्रति जिजीविषा को प्रदर्शित किया है. पशुधन, डेयरी और मत्स्य पालन सहित संबद्ध क्षेत्रों में वृद्धि, इस क्षेत्र में समग्र विकास के प्रमुख चालक रहे हैं. पिछले दो वर्षों में कृषि क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है.
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इकॉनोमिक सर्वे में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान इसके 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 3.6 प्रतिशत था. यह भी कहा गया है कि संबद्ध कृषि क्षेत्र लगातार उच्च वृद्धि वाले क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं. किसानों की आय तथा इस क्षेत्र (कृषि) की वृद्धि में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन सहित संबद्ध क्षेत्रों के बढ़ते महत्व से संकेत मिलता है कि सहायक क्षेत्रों के दोहन की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
नवीनतम स्थिति आकलन समीक्षा (एसएएस) ने यह भी पाया है कि संबद्ध क्षेत्र, कृषि परिवारों के विभिन्न समूहों के लिए आय के स्थिर स्रोत रहे हैं, जो उनकी औसत मासिक आय का लगभग 15 प्रतिशत है. खेतों के घटते आकार के साथ, समीक्षा में कहा गया है कि छोटी जोत वाले किसानों को कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास और उसे उपयोग में लाकर माध्यम से छोटे एवं सीमांत किसानों की उत्पादकता में सुधार करने की भी आवश्यकता है.
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सरकार से फसल विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करते हुए समीक्षा में कहा गया है कि मौजूदा फसल प्रणाली गन्ना, धान और गेहूं की खेती की ओर झुकी हुई है, जिसके कारण देश के कई हिस्सों में ताजा भू-जल संसाधनों में खतरनाक दर से कमी आयी है. हालांकि, फसल विविधीकरण को टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता में कमी करने और किसानों को अधिक आय मुहैया कराने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
आर्थिक सर्वे में कहा गया है, ‘उनकी खेती में तिलहन, दलहन और बागवानी फसलों की ओर फसल विविधीकरण करने के लिए सिंचाई, निवेश, ऋण और बाजार के मुख्य मुद्दों को संबोधित करके इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.’ इसमें कहा गया है कि जबकि सरकार ने फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के उपयोग को एक संकेत के रूप में अपनाया है, वहीं राज्य सरकारों द्वारा समन्वित कार्रवाई किये जाने की भी आवश्यकता है, ताकि अधिक मूल्य वाले और कम पानी की खपत वाली फसलों को अपनाने की ओर बढ़ा जा सके, ताकि टिकाऊ तरह से किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य को साकार किया जा सके.
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि अनुसंधान यह दिखाते हैं कि कृषि अनुसंधान और विकास पर खर्च किया गया प्रत्येक रुपया सब्सिडी पर खर्च किये गये धन या लागतों पर किये गये अन्य व्यय की तुलना में कहीं बेहतर लाभ सुनिश्चित करते हैं.
Posted By: Mithilesh Jha
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