Vegetable price hike again : कोरोना वजह से परेशान आम आदमी को अब महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. रोजमर्रा की जरूरी चीजों की कीमतों में इजाफा होने के साथ ही रसोई में रोजाना इस्तेमाल होने वाली सब्जियों की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं. आलू, प्याज, लहसन, टमाटर और धनिया पत्ती के साथ-साथ हरी सब्जी की कीमतों ने भी आम आदमी के बजट को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है.
बाजार में पहले आलू, फिर टमाटर, उसके बाद प्याज और अब हरी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. इस समय देश में आलू जहां 35 से 50 रुपये किलो तक पहुंच गया है, तो टमाटर 60 से 80 रुपये किलो, प्याज 40 से 60 रुपये किलो, लहसन 160 रुपये से 200 रुपये किलो और धनिया पत्ता कहीं-कहीं से गायब ही हो गया है और जहां है वहां 300 से 400 रुपये किलो तक बिक रहा है.
कारोबारियों के अनुसार, बारिश के मौसम में मांग बढ़ने और आवक घटने की वजह से आलू, लहसून और प्याज के दाम बढ़ रहे है. उन्होंने बताया कि बारिश के चलते सब्जियों की फसल नष्ट होने से समस्या बढ़ी है. कारोबारियों का अनुमान है कि आने वाले अगले कुछ दिनों में सब्जियों के दामों में और उछाल आने की की आशंका है.
लासलगांव में 2700 रुपये क्विंटल हुआ प्याज का थोक भाव
देश की खुदरा और थोक सब्जी मंडियों में एक बार फिर प्याज की कीमतों में आग लग गयी है. देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक के लासलगांव में अगस्त के मध्य में जहां प्याज की थोक कीमत 900 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो अब तीन गुणा बढ़कर 2700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गयी है. लासलगांव की थोक मंडी में प्याज की बढ़ी कीमतों का असर देश के खुदरा सब्जी मंडियों में भी देखने को मिल रहा है. खुदरा सब्जी मंडियों में प्याज की कीमत 40 रुपये से लेकर 60 रुपये तक पहुंच गयी है. सबसे बड़ी बात यह है कि आने वाले समय में यह 100 रुपये किलो तक पहुंच सकती है.
बारिश की वजह से 40 फीसदी तक स्टॉक हो गए खराब
मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया जा रहा है कि बारिश के कारण स्टॉक की गयी फसल के खराब होने की से प्याज की थोक कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. मीडिया की खबरों के अनुसार, भारी बारिश के कारण रबी सीजन की करीब 40 फीसदी प्याज खराब हो गयी है, जिससे कीमतों में तेजी बनी हुई है.
तीन हफ्ते में तीन गुणा बढ़ी प्याज की कीमत
हालांकि, कारोबारियों का यह भी कहना है कि आम तौर पर बारिश के मौसम में रबी सीजन के प्याज का करीब 20 फीसदी स्टॉक खराब होता है, लेकिन महाराष्ट्र में लगातार भारी बारिश होने की वजह से नासिक के आसपास के इलाके में स्टॉक खराब हुआ है. इस कारण लालसगांव की थोक मंडी में तीन हफ्ते में प्याज की कीमतों में तीन गुणा तक बढ़ोतरी हो गयी है.
भारी बारिश में नष्ट हो गयी प्याज की फसल
गौरतलब है कि इस साल के मानसून सीजन में बेहतरीन बारिश होने की वजह से कुछ राज्यों में प्याज की फसल और स्टॉक को काफी नुकसान हुआ है. प्याज कारोबारियों के अनुसार, मानसून में लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाने के कारण आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के शुरुआती खरीफ प्याज की फसल खराब हो गयी, जो आमतौर पर जुलाई-सितंबर के दौरान देश की थोक मंडियों में पहुंच जाती थीं. उन्होंने यह भी कहा कि इसके साथ ही, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रबी फसल में प्याज की बंपर पैदावार के बाद स्टॉक की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है.
खुदरा मंडियों में 60 रुपये किलो तक बिक रहा प्याज
प्याज कारोबारियों का कहना है कि मानसून के दौरान हुई भारी बारिश का ही नतीजा है कि पिछले कुछ हफ्तों में देश के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र समेत थोक और खुदरा मंडियों में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. कोलकाता और मुंबई की खुदरा सब्जी बाजार में प्याज की कीमत 50 रुपये किलो तक पहुंच गयी है, तो दिल्ली की खुदरा सब्जी मंडियों में यह 60 रुपये किलो हो गयी.
अक्टूबर तक 100 रुपये किलो तक पहुंच सकती है प्याज की कीमत
एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी दिल्ली के आजादपुर स्थित मंडी में प्याज की आवक लगभग 50 फीसदी कम हो गई है. यहां के कई व्यापारियों का कहा है कि अगले महीने तक प्याज की कीमतें बढ़कर 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच सकती है.
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Posted By : Vishwat Sen
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