नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन e-RUPI लॉन्च कर दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि एलपीजी सब्सिडी, राशन, चिकित्सा उपचार और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का पैसा अब लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे भेजा जायेगा. इससे करीब 1.78 करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच जायेंगे. बिचौलियों की अब एक नहीं चलेगी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि e-RUPI इस बात का भी प्रतीक है कि 21वीं सदी का भारत आधुनिक प्रोद्यौगिकी के मामले में किस प्रकार आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत आधुनिक प्रोद्यौगिकी के मामले में पूरे विश्व का नेतृत्व करेगा. आज हमारा देश किसी भी मामले में किसी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि यह शुरुआत ऐसे समय में हो रही है जब देश आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है.
-e-RUPI एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल पेमेंट सिस्टम है.
-e-RUPI एसएमएस-स्ट्रिंग या क्यूआर कोड के रूप में लाभार्थियों के मोबाइल फोन पर पहुंचाया जायेगा.
– e-RUPI अनिवार्य रूप से एक प्रीपेड गिफ्ट-वाउचर की तरह होगा, जिसे बिना किसी क्रेडिट या डेबिट कार्ड, मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के विशेष केंद्रों पर भुनाया जा सकेगा.
-e-RUPI सेवाओं के प्रायोजकों को बिना किसी भौतिक इंटरफेस के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं से जोड़ेगा.
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-e-RUPI सिस्टम को एनपीसीआई ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बनाया है, और इसमें बैंकों को शामिल किया गया है जो जारीकर्ता संस्थाएं होंगी.
-लाभार्थियों की पहचान उनके मोबाइल नंबर का उपयोग करके की जायेगी और किसी बैंक द्वारा किसी दिये गये व्यक्ति के नाम पर सेवा प्रदाता को आवंटित वाउचर केवल उस व्यक्ति को दिया जायेगा.
-e-RUPI से कल्याण सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी सुनिश्चित होगी.
-इसका उपयोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, उर्वरक सब्सिडी आदि योजनाओं के तहत मातृ एवं बाल कल्याण योजनाओं, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, दवाओं और निदान के तहत दवाएं और पोषण सहायता प्रदान करने के लिए योजनाओं के तहत सेवाएं देने के लिए भी किया जा सकता है.
-निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का लाभ उठा सकते हैं.
-e-RUPI मौजूदा भारतीय रुपये द्वारा समर्थित है, अंतर्निहित परिसंपत्ति और इसके उद्देश्य की विशिष्टता इसे एक डिजिटल करेंसी से अलग बनाती है. इसे वाउचर-आधारित भुगतान प्रणाली के रूप में ही जाना जायेगा.
Posted By: Amlesh Nandan.
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