PMI: भारत में आर्थिक परिस्थितियों में सुधार और मजबूत मांग की वजह से सेवा क्षेत्र की गतितविधियां और इसकी वृद्धि 14 साल के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई हैं. मौसमी तौर पर समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक मार्च में 61.2 थी जो अप्रैल में गिरकर 60.8 हो गई. प्राइस मैनेजमेंट इंडक्स (पीएमआई) की भाषा के आधार पर जानें, तो इसमें 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से है और 50 से कम अंक रहने पर इसमें गिरावट दर्ज की जाती है.
अप्रैल में वृद्धि रही धीमी
एचएसबीसी का भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अप्रैल में भारत की सेवा गतिविधियों में थोड़ी धीमी गति से वृद्धि हुई, जिसे घरेलू मांग में उल्लेखनीय मजबूती के साथ नए ठेकों और वृद्धि का समर्थन मिला. घरेलू मांग में तेजी के अलावा, कंपनियों ने दुनिया के कई हिस्सों से नए कारोबारी लाभ का भी उल्लेख किया, जिसने सामूहिक रूप से सितंबर 2014 में सीरीज शुरू होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय बिक्री में दूसरी सबसे तेज वृद्धि को ताकत दिया.
14 साल में दूसरा मजबूत उछाल
इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स अप्रैल में 61.5 रहा जो मार्च में 61.8 था. यह 14 वर्षों में दूसरे सबसे मजबूत उछाल को दर्शाता है. प्रांजुल भंडारी ने कहा कि समग्र गतिविधि के संदर्भ में, विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में कुल उत्पादन अप्रैल में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा यद्यपि थोड़ी धीमी गति से जो इन क्षेत्रों में निरंतर बेहतरी का संकेत देता है.
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भारत का सेवा क्षेत्र अभी भी है प्रभावी
प्रांजुल भंडारी ने आगे कहा कि भारत का सेवा क्षेत्र अभी भी काफी प्रभावी है. सर्वेक्षण से पता चला है कि वित्त और बीमा में व्यावसायिक गतिविधि में तेज वृद्धि देखी गई है. इसके अलावा, सर्विस कंपनी ने लगभग 10 साल की सीरीज के इतिहास में नए निर्यात कारोबार में दूसरी सबसे तेज वृद्धि देखी. एशिया, अफ़्रीका, यूरोप, अमेरिका और मध्य पूर्व के देशों में बढ़त देखी गई. उन्होंने कहा कि हालांकि, नए निर्यात ऑर्डर मजबूत बने रहे, लेकिन मार्च से उनमें थोड़ी नरमी देखी गई.
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खाद्य पदार्थों की कीमतें और वेतन दबाव बना बोझ
उन्होंने कहा कि खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतें और वेतन का दबाव सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं के लिए लागत बोझ बन गया और कंपनियों ने इसका बोझ अपने ग्राहकों पर डाल दिया. उपभोक्ता सेवा क्षेत्र में अब तक सबसे अधिक तेजी देखी गई. सर्वेक्षण से पता चला कि इनपुट लागत में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि बढ़े हुए नए ऑर्डरों के जवाब में कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के स्तर में विस्तार किया. हालांकि, नियुक्ति वृद्धि की गति धीमी हो गई.
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