Post Office Kisan Vikas Patra Scheme : बचत योजनाओं के मामले में निवेश का सबसे बेहतरीन विकल्प भारतीय डाक विभाग को माना जाता है. क्योंकि, इसकी किसी भी योजनाओं में निवेश करने के बाद ब्याज की रकम ज्यादा मिलती है. चाहे वह बचत खाता हो, रेकरिंग डिपॉजिट हो या फिर किसान विकास पत्र (KVP) ही क्यों न हो. फिलहाल, देश-दुनिया में जब कोरोना महामारी का दौर चल रहा है, तो हर किसी को पैसे की जरूरत है. इसमें भी तुर्रा यह कि अगर किसी योजना में निवेश करने के बाद पैसे डबल हो जाएं, तो सोने पर सुहागा. डाक विभाग की एक ऐसी योजना है, जिसमें निवेश करने के बाद पैसे डबल हो जाएंगे, लेकिन आइए जानते कि कितने दिनों में…
जानिए क्या है यह स्कीम
डाक विभाग की किसान विकास पत्र (Kisan vikas Patra) योजना भारत सरकार द्वारा जारी किया एक एक बार में निवेश वाली योजना है, जो देश के सभी डाकघरों और बड़े बैंकों में मौजूद है. किसान विकास पत्र (KVP) में निवेशकों को मेच्योरिटी पीरियड के बाद निवेश की गई रकम दो गुना मिलती है. इसमें कम से कम 1000 रुपये का निवेश करना होता है. इसमें निवेश की अधिकतम सीमा तय नहीं है. अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार कोई कितना भी निवेश कर सकता है. हालांकि, इस योजना का निर्धारण किसानों के लिए किया गया था, लेकिन 21वीं सदी की शुरुआत के पहले कर से छूट पाने के लिए ज्यादातर सरकारी कर्मचारी भी इसमें निवेश करके फायदा उठाते थे. इसकी एकमात्र वजह यह थी कि लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने के साथ टैक्स में छूट भी मिल जाए.
पहले इसमें निवेश करने के बाद बैंकों की तरह पांच साल में ही पैसा दोगुना हो जाता था, लेकिन इसका दुरुपयोग होने के साथ ही पैसा दोगुना करने की अवधि में विस्तार होता चला गया. डाक विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, फिलहाल किसान विकास पत्र में लगाया गया पैसा 124 महीने यानी 10 साल 4 महीने या फिर कुल मिलाकर 11 साल में दोगुना होगा.
कितना मिलेगा इंट्रेस्ट
जिस समय भारत सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी, तब इसमें निवेश करने पर 12 फीसदी से भी ज्यादा का ब्याज मिलता था. सरकार ने फिर इसे घटाकर 11.5 फीसदी कर दिया. इसके बाद ब्याज दर को और घटाकर 8.5 फीसदी किया गया और अब जबकि आप निवेश करेंगे, तो आपको 124 महीने में केवल 6.9 फीसदी ही ब्याज की रकम हासिल कर सकेंगे.
मनमोहन सिंह सरकार ने इस स्कीम को किया हतोत्साहित
दरअसल, देश के किसानों के लिए शुरुआत की गई किसान विकास पत्र योजना में निवेश पर मिलने वाले ब्याज की दरों में कटौती की शुरुआत पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल से हो गई थी, जो वर्तमान मोदी सरकार के आने के बाद ज्यादा बढ़ गई है. फिलहाल, आलम यह है कि इस योजना में पैसा लगाने के बाद पांच साल के बजाए 11 साल में दोगुना होगा.
कब हुई किसान विकास पत्र योजना की शुरुआत
दरअसल, देश के किसानों के उत्थान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1988 में डाकघर बचत योजनाओं में किसान विकास पत्र योजना की शुरुआत की गई. स्थापना के बाद से इस बचत योजना ने व्यक्तियों के बीच बहुत लोकप्रियता हासिल की. हालांकि, भारत सरकार ने 2011 में इस योजना को बंद करने का फैसला किया. यह निर्णय सरकार द्वारा गठित एक समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि किसान विकास पत्र का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. हालांकि, सरकार ने अपने आदेश को रद्द कर दिया और 2014 में किसान विकास पत्र को दोबारा शुरू किया गया.
Posted By : Vishwat Sen
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