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Rate Cut RBI: आरबीआई को मूडीज की सलाह, इस साल कम मत करना ब्याज

Rate Cut RBI: ब्याज दरों में कटौती पर सरकार और आरबीआई के बीच छिड़ी जंग में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एंट्री मारी है. उसने केंद्रीय बैंक इस साल ब्याज दर नहीं घटाने की सलाह दी है. इसके पीछे उसने कई तर्क भी दिए हैं.

Rate Cut RBI: ब्याज दरों में कटौती पर सरकार और आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के बीच चल रही जंग में वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स भी कूद गई है. उसने केंद्रीय बैंक को सलाह दी है कि इस साल ब्याज दरों में किसी प्रकार की कटौती मत करना. उसने यह भी कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल बेहतर स्थिति में है. चालू कैलेंडर साल 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2% की रफ्तार से आगे बढ़ेगी और साल 2025 में इसकी रफ्तार घटकर 6.6% हो जाएगी.

ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम

समाचार एजेंसी पीटीआई की हिंदी शाखा भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, मूडीज रेटिंग्स ने आरबीआई को दिए अपने सुझाव में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था ठोस वृद्धि और नरम मुद्रास्फीति के साथ आगे बढ़ रही है. उसने कहा कि मु्द्रास्फीति के जोखिमों को देखते हुए संभव है कि आरबीआई इस साल तुलनात्मक रूप से सख्त मौद्रिक नीति को बरकरार रखे. ऐसे में निकट भविष्य में ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश कम ही होगी.

आरबीआई के दायरे से खुदरा महंगाई

मूडीज ने कहा कि निकट भविष्य में तेजी आने के बावजूद खुदरा महंगाई आने वाले महीनों में आरबीआई के तय दायरे में होनी चाहिए. इसका कारण यह है कि अधिक बुवाई और पर्याप्त खाद्यान्न भंडार के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आएगी. हालांकि, अक्टूबर महीने में सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल के कारण खुदरा महंगाई 14 महीने के हाईएस्ट लेवल 6.21 पर पहुंच गई है. यह आरबीआई के दायरे से काफी अधिक है.

कई प्रकार की बाधाओं से जूझ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था

मूडीज रेटिंग्स ने अपने ‘वैश्विक वृहद परिदृश्य 2025-26’ में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने महामारी के दौरान सप्लाई चेन बाधा, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा और खाद्य संकट, ऊंची महंगाई के साथ-साथ सख्त मौद्रिक नीति से उबरने में पूरी ताकत झोंक दी है. रिपोर्ट कहा गया है कि अधिकांश जी-20 अर्थव्यवस्थाएं स्थिर वृद्धि दर्ज करेंगी. नीतिगत मोर्चे पर नरमी तथा वस्तुओं की कीमतों से उन्हें समर्थन मिलेगा.

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2025 और 2026 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट संभव

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिकी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नीतियों में चुनाव के बाद के बदलाव के चलते दुनिया भर में आर्थिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं. मूडीज ने भारत के बारे में कहा कि घरेलू खपत में सुधार, मजबूत निवेश और मजबूत विनिर्माण गतिविधियों के कारण 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर 6.7% की वृद्धि हुई. एजेंसी ने कहा कि हमने 2024 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.2% की वृद्धि का अनुमान लगाया है. इसके बाद 2025 में आर्थिक वृद्धि दर 6.6% और 2026 में 6.5% रह सकती है.

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