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RBI Action on Inflation: महंगाई ने बढ़ाई रिजर्व बैंक की चिंता, नीतिगत दर को एक बार फिर यथावत रख सकता है बैंक

RBI Action on Inflation: मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने खाद्य महंगाई पर नजर बनाये रखने पर जोर दिया है. इसके साथ ही, एम डी पात्रा, शशांक भिडे, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और राजीव रंजन सहित सभी छह सदस्यों ने नीति दर पर यथास्थिति रखने के पक्ष में मतदान किया था.

RBI Action on Inflation: बढ़ती महंगाई से एक तरफ आम जनता परेशान है, दूसरी तरफ देश के शीर्ष बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भी परेशानी का कारण बनी हुई है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने खाद्य महंगाई पर नजर बनाये रखने पर जोर दिया है. इसके साथ ही, एम डी पात्रा, शशांक भिडे, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और राजीव रंजन सहित सभी छह सदस्यों ने नीति दर पर यथास्थिति रखने के पक्ष में मतदान किया था. इसके बाद से विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को एक बार फिर यथावत रखने का फैसला लिया जा सकता है. इस बीच, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने कुछ और समय के लिए सख्त रुख बरकरार रखने का फैसला किया है. इसका असर भी, अगले महीने तय होने वाले नीतिगत दर पड़ने की संभावना है.

फरवरी में बढ़ा था रेपो रेट

रिजर्व बैंक ने आठ फरवरी, 2023 को रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था और तब से इसने अत्यधिक उच्च खुदरा मुद्रास्फीति और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों सहित कुछ वैश्विक कारकों को देखते हुए दरों को उसी स्तर पर बरकरार रखा है. आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक चार-छह अक्टूबर को प्रस्तावित है. एमपीसी की पिछली बैठक अगस्त में हुई थी. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि उम्मीद है कि आरबीआई इस बार ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करेगा क्योंकि मुद्रास्फीति अब भी ऊंची बनी हुई है और नकदी की स्थिति सख्त है. मुद्रास्फीति पर आरबीआई के अनुमान को सही माना जाए, तो तीसरी तिमाही में भी यह पांच प्रतिशत से ज्यादा रहेगी. ऐसे में चालू कैलेंडर साल 2023 में और संभवत: चौथी तिमाही में भी रेपो दर में बदलाव नहीं होगा.

खरीफ फसलों को लेकर बनी अनिश्चितता

अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि खरीफ फसलों, खासकर दालों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में थोड़ा घटकर 6.83 प्रतिशत रह गई है. जुलाई में यह 7.44 प्रतिशत थी. हालांकि, यह रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से अब भी ऊपर है. सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी है. इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर, 2023 में घटकर 5.3-5.5 प्रतिशत पर आने की उम्मीद है. इसमें टमाटर की औसत कीमत आधी होने से फायदा मिला. नायर ने कहा कि इक्रा को लगता है कि एमपीसी अक्टूबर, 2023 नीति में भी कोई बदलाव नहीं करेगी. रिजर्व बैंक ने 2023-24 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है.

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बैंक ग्राहक केंद्रित रुख पर दें ध्यान: आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बृहस्पतिवार को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के शीर्ष प्रबंधन से देश की बैंक व्यवस्था में लोगों के भरोसे को मजबूत बनाने के लिये ग्राहक केंद्रित रुख पर ध्यान देने को कहा. स्वामीनाथन ने यहां प्रमुख बैंकों के निदेशक मंडल में ग्राहक सेवा समिति के प्रमुखों, प्रबंध निदेशकों, ग्राहक सेवा क्षेत्रों के प्रभारी कार्यकारी निदेशकों और प्रमुख नोडल अधिकारियों के साथ यहां बैठक की. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि बैठक के दौरान चर्चा ग्राहक सेवाओं को और बेहतर बनाने पर केंद्रित रही. इसमें शिकायतों का तुरंत समाधान करना, शिकायत निपटान व्यवस्था को दुरुस्त करना, ग्राहक अनुभवों को बेहतर बनाना, धोखाधड़ी की रोकथाम के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग, ग्राहक सेवा को और बेहतर बनाने के लिये अधिक जागरूकता तथा जिम्मेदार नीतियां बनाने की आवश्यकता शामिल हैं. स्वामीनाथन ने अपने संबोधन में कहा कि वित्तीय प्रणाली में भरोसा बढ़ाने के लिये ग्राहक सेवा की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने बैंक प्रणाली में ग्राहकों का भरोसा बढ़ाने के लिये शीर्ष प्रबंधन और निदेशक मंडल ग्राहक सेवा समितियों से उपभोक्ता केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करने पर ध्यान देने को कहा.

(भाषा इनपुट के साथ)

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