RBI: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के द्विमासिक समीक्षा के तहत मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने पूरी बातों की जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने देश में महंगाई से लेकर विकास दर तक पर बैंक की तैयारी को रखा. उन्होंने एक तरफ शहरी सहकारी बैंकों के गोल्ड ऋण के लिमिट को बढ़ाकर चार लाख कर दिया. वहीं, बैंकों की मनमानी और शिकायतों के निपटारे के लिए आंतरिक लोकपाल ढांचे में सामंजस्य स्थापित करने को लेकर भी बात की. उन्होंने बताया कि दो हजार के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा के बाद 3.43 लाख करोड़ रुपये के 2,000 रुपये के नोट बैंक में जमा कराये गए. हालांकि, अभी भी 12, 000 करोड़ के नोट वापस नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि भारत पूरी दुनिया के अर्थव्यवस्था के लिए इंजन का काम कर रहा है. देश के घरेलू मांग के कारण अर्थव्यवस्था जुझारू बनी हुई है. आइये 12 प्वाइंट में समझते हैं RBI गवर्नर ने क्या कहा.
मुख्य नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार.
मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से रेपो दर को यथावत रखने का निर्णय किया.
आरबीआई उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देता रहेगा.
पिछले साल मई से नीतिगत दर रेपो में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि का असर अभी भी जारी है.
चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर कायम.
मुद्रास्फीति के अनुमान को चालू वित्त वर्ष के लिये 5.4 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.
सब्जियों के दाम में नरमी, रसोई गैस सिलेंडर कीमतों में कटौती से महंगाई नरम होगी.
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उच्च मुद्रास्फीति वृहद आर्थिक स्थिरता और सतत आर्थिक वृद्धि के लिये प्रमुख जोखिम.
भारत दुनिया के लिये वृद्धि का नया इंजन बनने की ओर अग्रसर.
दो हजार का नोट वापस लेने, सरकार को लाभांश की वजह से अधिशेष तरलता का स्तर बढ़ा है.
‘बुलेट पुनर्भगतान योजना के तहत ‘गोल्ड लोन’ सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये से चार लाख रुपये की गयी.
भुगतान अवसंरचना विकास कोष योजना की अवधि दो साल बढ़ाकर दिसंबर, 2025 की गयी.
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