RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को एक बैठक के दौरान घरेलू बचत के अन्य निवेश विकल्पों की ओर स्थानांतरित होने को लेकर चिंता जताई. उन्होंने सुझाव दिया कि बैंकों को अपनी कई शाखाओं का उपयोग करके अधिक जमा लाने के लिए नए उत्पाद और सेवाएँ लानी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि बैंक ऋण की मांग को पूरा करने के लिए अल्पकालिक गैर-खुदरा जमा पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
बैंक नेटवर्क उपयोग करने की सलाह
RBI गवर्नर ने बैंकों के जरिए घरेलू बचत को बढ़ावा देने तथा अपने उत्पादन के तरीकों में नवीनता लाने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने बैंकों को अपने शाखा नेटवर्क का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के महत्व पर भी जोर दिया. गवर्नर ने कुछ कंपनियों की तरफ से LTV अनुपात और जोखिम भार की निगरानी से संबंधित विनियमों का पालन न करने, साथ ही गोल्ड लोन जैसे सुरक्षित ऋणों पर अत्यधिक जोर देने के बारे में चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि बैंक और NBFC अपनी प्रथाओं का मूल्यांकन करें और आवश्यकतानुसार समायोजन करें.
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बढ़ते पर्सनल लोन के ट्रेंड पर बैंक रखें निगरानी
दास ने पर्सनल लोन की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और बैंकों को इस क्षेत्र में वृद्धि की निगरानी करने की सलाह दी. उन्होंने बताया कि नवंबर में RBI रिजर्व बैंक विनियमन लागू किए जाने वाले क्षेत्रों में ऋण वृद्धि में कमी आई है, लेकिन कुछ व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र अभी भी तेजी से बढ़ रहे हैं. दास ने ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं दोनों के लिए विश्वसनीय ऋण जानकारी के महत्व पर जोर दिया और सुझाव दिया कि बैंकों को हर दो सप्ताह में क्रेडिट सूचना कंपनियों से रिपोर्ट साझा करनी चाहिए. वर्तमान में, ऋणदाताओं को मासिक आधार पर या यदि सहमति हो तो अधिक बार क्रेडिट ब्यूरो को ऋण जानकारी प्रदान करनी चाहिए.
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