RBI MPC: भारतीय रिजर्व बैंक के नये वित्त वर्ष (2024-25) के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो महीने पर होने वाली बैठक का आज आखिरी दिन है. बताया जा रहा है कि सुबह 10 बजे रिजर्व बैंक के गवर्नर के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेपो रेट के साथ बैठक में लिये गए अन्य फैसलों की जानकारी देंगे. बता दें कि अभी वर्तमान में रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा है. शीर्ष बैंक के द्वारा आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया गया था. तब बैंक ने ब्याज दरों को 0.25% बढ़ाकर 6.5% कर दिया था. अगर आरबीआई रेपो दरों में बदलाव नहीं करता है तो ये लगातार छठी बार दरों को स्थिर रखा जाएगा. छह सदस्य वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, राजीव रंजन, माइकल देबब्रत पात्रा के साथ शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य के रुप में शामिल हैं.
क्या है एक्सपर्ट की राय
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2023-24 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान बढ़ाये जाने के साथ लगातार तीन तिमाहियों में वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रहने तथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) फरवरी में 5.1 प्रतिशत रहने से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर और रुख में बदलाव की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि इक्रा का मानना है कि नीतिगत स्तर पर रुख में अगस्त 2024 से पहले बदलाव होने की संभावना नहीं है. उस समय तक मानसून को लेकर स्थिति साफ होगी. साथ ही, आर्थिक वृद्धि तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर को लेकर रुख भी साफ हो जाएगा. इन सबको देखते हुए नीतिगत दर में कटौती इस साल अक्टूबर तक होने की उम्मीद है. यह स्थिति तब होगी जब आर्थिक वृद्धि के स्तर पर कोई समस्या नहीं हो.
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कई मुद्दों पर शीर्ष बैंक की होगी नजर
पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार और प्रमुख आर्थिक परामर्शदाता रानेन बनर्जी ने कहा कि तीसरी तिमाही में समग्र मजबूत जीडीपी वृद्धि, मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति का 3.5 प्रतिशत से नीचे जाना, कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक वृद्धि, लॉजिस्टिक लागत में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक संघर्षों में बढ़ती स्थिति विचार-विमर्श के लिए प्रमुख मुद्दे होंगे. उन्होंने कहा कि हालांकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कुछ केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में कटौती शुरू कर दी है लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंक अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में हैं. भारत और अमेरिका के बीच प्रतिफल (बॉन्ड) का अंतर कम हो गया है, जिससे कोष प्रवाह पर दबाव पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि एमपीसी नीतिगत दर को यथावत रखेगा. लेकिन दर में कटौती को लेकर एक छोटी संभावना भी है. एमपीसी के कुछ सदस्य नीतिगत दर में कटौती के लिए मतदान कर सकते हैं लेकिन वे बहुमत में नहीं हैं.
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