RBI on Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है. केंद्रीय बैंक ने मजबूत घरेलू मांग तथा विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता इस्तेमाल बढ़ने के बीच वृद्धि दर के अनुमान में बढ़ोतरी की है. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की जानकारी देते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव हालांकि वृद्धि दर के परिदृश्य के लिए जोखिम है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने लगातार पांचवीं बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया. आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी. दिसंबर तिमाही में इसे 6.5 प्रतिशत और मार्च तिमाही में छह प्रतिशत रहने का अनुमान है.
घरेलू मांग से बढ़ेगी जीडीपी
केंद्रीय बैंक ने कहा कि अगले वित्त वर्ष की पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 6.7 प्रतिशत, 6.5 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. भारतीय अर्थव्यवस्था मार्च, 2023 में समाप्त वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी. देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि चालू वित्त वर्ष की जून और सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर क्रमश: 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रही थी. मार्च तिमाही में वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत थी. केंद्रीय बैंक का अनुमान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के अनुमान से कहीं अधिक है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्वबैंक और रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी हैं. जबकि एस एंड पी ने वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद जतायी हुई है. आरबीआई ने कहा कि सार्वजनिक व्यय में वृद्धि, विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता का औसत से अधिक उपयोग तथा घरेलू मांग से जीडीपी वृद्धि को गति मिलेगी.
प्वाइंट में जानें आरबीआई गवर्नर की मुख्य बातें
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वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, हमारी बुनियाद सुदृढ़ है.
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मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है.
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व्यापारियों को वस्तुओं और सेवाओं के एवज में ग्राहकों की अनुमति से उनके खाते से स्वत: पैसा काटने की सीमा को मौजूदा के 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का निर्णय किया गया.
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कई अन्य देशों की तुलना में भारत अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में.
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डिजिटल ऋण क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए रिजर्व बैंक कर्ज उत्पादों के वेब एग्रीगेटर्स के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगा.
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आरबीआई ने अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए यूपीआई के जरिये भुगतान सीमा मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया.
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देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक दिसंबर, 2023 की स्थिति के अनुसार 604 अरब डॉलर रहा.
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मुख्य मुद्रास्फीति व्यापक रूप से नरम; खाद्य मुद्रास्फीति का जोखिम कायम. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.6 प्रतिशत पर और चौथी में 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान.
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चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान.
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बैंकों और कॉरपोरेट के मजबूत दोहरे संतुलन से निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा.
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भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.5 से सात प्रतिशत किया.
(भाषा इनपुट के साथ)
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