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भारत में किफायती दाम के घरों की बिक्री घटी, जबकि मुंबई अधिक कीमत वाले घरों की मांग 49 प्रतिशत बढ़ी,जानें डिटेल

Real Estate: भारत में किफायती दर के घरों की मांग में करीब 20 प्रतिशत की कमी आयी है. वहीं, मुंबई में 10 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले घरों की बिक्री चालू साल के पहले छह माह जनवरी-जून के दौरान 49 प्रतिशत बढ़ी है.

Real Estate: भारत में किफायती दर के घरों की मांग में करीब 20 प्रतिशत की कमी आयी है. बताया जा रहा है कि रियल एस्टेट कंसल्टेंट Anarock ने बताया कि इस साल की पहली छमाही में भारत के सात बड़े शहरों में बेची गई 2.29 लाख यूनिट में से केवल 20 फीसदी या लगभग 46,650 अपार्टमेंट अफोर्डेबल हाउस थे, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से कम थी. एनारॉक रिसर्च डेटा से पता चलता है कि एक साल पहले की अवधि में बेचे गए 1.84 लाख घरों में से अफोर्डेबल हाउस की हिस्सेदारी 30 फीसदी या 57060 यूनिट थी. वहीं, मुंबई में 10 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले घरों की बिक्री चालू साल के पहले छह माह जनवरी-जून के दौरान 49 प्रतिशत बढ़ी है. यह आंकड़ा मूल्य के लिहाज से 11,400 करोड़ रुपये रहा.

10 करोड़ वाले घर की मांग बढ़ी

इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी और सीआरई मैट्रिक्स की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, एक साल पहले इसी अवधि में 10 करोड़ रुपये से महंगे मकानों की कुल बिक्री 7,660 करोड़ रुपये थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में लक्जरी अपार्टमेंट की मांग मुख्य रूप से उद्योगपतियों, बॉलीवुड हस्तियों और उच्च वेतनभोगी कर्मचारियों की तरफ से आई. इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के प्रबंध निदेशक अमित गोयल ने कहा कि पहली छमाही में लक्जरी मकानों की बिक्री में आया उछाल उद्योग की दृष्टि से सकारात्मक है.

कम मार्जिन से बिल्डरों की रुचि बदली

एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी बताते हैं कि किफालती मकानों की बिक्री पर बड़ा असर पड़ा है. हिस्सेदारी घटकर केवल 20 प्रतिशत रह गयी है. हालांकि, जमीन की लागत काफी बढ़ गयी है. जमीन के साथ अन्य सामानों की कीमतों में तेजी के कारण कम मार्जिन वाले मकान बनाने में बिल्डर रुचि नहीं ले रहे हैं. अच्छी होने के कारण मिड रेंज, प्रीमियम और लग्जरी आवास परियोजनाओं पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इससे परियोजनाओं पर सीधे असर पड़ा है. वहीं, इससे किफायती मकानों की आपूर्ति भी सुस्त हुई है.

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पहली तिमाही में औद्योगिक-भंडारगृह स्थलों की मांग 12 प्रतिशत घटी

देश के पांच प्रमुख शहरों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पट्टे पर औद्योगिक और भंडारगृह स्थलों की मांग सालाना आधार पर 12 प्रतिशत घटकर 40 लाख वर्ग फुट रह गई है. रियल एस्टेट परामर्श फर्म कोलियर्स इंडिया ने यह जानकारी दी है. मुख्य रूप दिल्ली-एनसीआर और चेन्नई में मांग घटने से कुल मांग में गिरावट आई है. कोलियर्स इंडिया ने अप्रैल-जून, 2023 के लिए भारतीय औद्योगिक एवं भंडारगृह बाजार पर रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार, प्रमुख पांच शहरों में अप्रैल-जून में पट्टे पर इन स्थलों की मांग इससे पिछली तिमाही की तुलना में 44 प्रतिशत घटी है. आंकड़ों के अनुसार, पुणे में औद्योगिक और भंडारगृह स्थलों की मांग 15 प्रतिशत बढ़कर 10 वर्गफुट हो गई. मुंबई में भी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मांग 12 प्रतिशत बढ़कर नौ लाख वर्ग फुट रही. बेंगलुरु में समीक्षाधीन अवधि में मांग 17 प्रतिशत वृद्धि के साथ सात लाख वर्ग फुट पर पहुंच गई. हालांकि चेन्नई और दिल्ली-एनसीआर में मांग में गिरावट रही. जहां दिल्ली में मांग 49 प्रतिशत गिरकर सात लाख वर्ग फुट रह गई, वहीं चेन्नई में यह 28 प्रतिशत घटकर सात लाख वर्ग फुट पर आ गई.

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