RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक का रेपो रेट पर उदार रुख अपनाया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से पॉलिसी रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. नतीजतन, स्थायी जमा सुविधा दर 6.25% और सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.75 पर बनी हुई है. उन्होंने कहा कि चालू वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7% अनुमानित है – तीसरी तिमाही में 6.5% और चौथी तिमाही में 6% हो सकती है. 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.7%, दूसरी तिमाही के लिए 6.5% और तीसरी तिमाही के लिए 6.4% अनुमानित है. जोखिम समान रूप से संतुलित हैं. रिजर्व बैंक के द्वारा मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक (MPC) का आयोजन छह और सात सितंबर को किया गया है. इसके बारे में जानकारी आज गर्वरनर शक्तिकांत दास के द्वारा दिया गया है. इससे पहले आरबीआई ने इससे पहले फरवरी 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था. रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों की वजह से महंगाई बढ़ने के कारण मई 2022 में रेपो दर में बढ़ोतरी का दौर शुरू हुआ था जो फरवरी, 2023 तक चलता रहा. लेकिन अप्रैल, 2023 की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा से रेपो दर स्थिर बनी हुई है.
Also Read: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी राहुल द्रविड़ की तरह खेलने की सलाह, महंगाई को लेकर कही ये बात
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट (Repo Rate) एक आर्थिक शब्द है. सीधे रुप में यह वह ब्याज दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है. रेपो रेट एक बैंक और RBI के बीच का कर होता है, जिसे बैंक अपने लेन-देन की शीघ्र स्थिति सुधारने के लिए रेपो या रिपर्चेस ओफ पुर्चेस (Repurchase Agreement) के रूप में जानते हैं. इस प्रक्रिया में, बैंक RBI से सुरक्षित वित्त प्राप्त करने के लिए अपनी सुरक्षित सुधारित सुधार बाजार में रेपो करते हैं और उसके लिए वे एक निर्दिष्ट दर पर ब्याज चुक्ता करते हैं. इस प्रकार, रेपो रेट वित्तीय बाजार में ब्याज दर का प्रतिनिधित्व करता है. रेपो रेट की बदलती दरें बैंकों को उचित रूप से पैसे उधार लेने और उधार देने के लिए प्रेरित करने में मदद करती हैं और यह एक मुद्रास्फीति नीति का हिस्सा भी हो सकता है. इसके माध्यम से RBI बैंकों के बीच मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने का प्रयास कर सकती है और आर्थिक स्थिति को नियंत्रित रखने का प्रयास कर सकती है. रेपो रेट का उदाहरण, यदि रेपो रेट 5% है, तो एक बैंक जो 100 करोड़ रुपये की सुरक्षित सुधारित सुधार चाहता है, वह RBI को 100 करोड़ रुपये के लिए 5% की दर पर ऋण लेगा और उसे एक निश्चित समय बाद वही रकम वापस करनी होती है, जिसमें ब्याज शामिल होता है.
रिवर्स रेपो रेट क्या होता है
रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित एक आर्थिक उपाय है जो वित्तीय बाजार में उपयोग होता है. रिवर्स रेपो रेट और रेपो रेट दोनों ही RBI की मूद्रास्फीति नीति और ब्याज नीति के पहलुओं का हिस्सा हैं, और इन्हें संयुक्त रूप से “लिक्वीडिटी आधारित और ब्याज नीति” के तौर पर जाना जाता है. रिवर्स रेपो रेट एक प्रक्रिया है जिसमें बैंक RBI के साथ सुरक्षित वित्त प्रदान करते हैं और उसके लिए वे एक निर्धारित दर पर ब्याज प्राप्त करते हैं. इसमें बैंक RBI को पैसे प्रदान करते हैं और उदाहरण के तौर पर रेपो रेट 5% हो, तो रिवर्स रेपो रेट इससे कम हो सकता है, जैसे 4.75%. रिवर्स रेपो रेट का मुख्य उद्देश्य वित्तीय बाजार में एक तरह से सुरक्षित हवा बनाए रखना है. यह RBI को अधिक ब्याज देने का संकेत हो सकता है, जिससे बैंकों को अधिक पैसे रखने में परेशानी हो सकती है, और इसका परिणामस्वरूप, बैंकों को प्रेरित किया जाता है कि वे पैसे बैंक से बाहर लेकर सुरक्षित रूप से रखें. रिवर्स रेपो रेट का उपयोग RBI द्वारा आर्थिक संयंत्र को संतुलित करने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए किया जाता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.