Rice Export: केंद्र सरकार आने वाले लोकसभा और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले महंगाई को काबू करने की हर कोशिश की जा रही है. सरकार ने पिछले महीने घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य देने और रिटेल कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए नॉन-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत से निर्यात होने वाले कुल चावल में नॉन-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है. वहीं, अब एक और सख्त कदम उठाते हुए बाजार में देर रात एक अधिसूचना में उसना चावल (Parboiled Rice) पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया है. चावल के निर्यात पर ये शुल्क 16 अक्टूबर से प्रभावी होगा. केंद्र सरकार के द्वारा ये फैसला पंजाब और हरियाणा में अधिक बारिश और पूर्वी भारत में कम बारिश के कारण धान के उत्पादन पर संकट को देखते हुए लिया गया है. सीमा शुल्क बंदरगाहों में पड़े ऐसे उसना चावल पर शुल्क छूट उपलब्ध होगी, जिन्हें एलईओ (Late Export Order) नहीं दिया गया है और जो 25 अगस्त, 2023 से पहले वैध एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) से समर्थित हैं. इन प्रतिबंधों के साथ भारत ने अब गैर-बासमती चावल की सभी किस्मों पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिया है.
4.8 बिलियन डॉलर का चावल भारत करता है निर्यात
भारत के कुल निर्यात में चावल के निर्यात की बड़ी हिस्सेदारी है. कीमतों के हिसाब से अगर अंदाजा लगाएं तो वर्ष 2022-23 में देश का बासमती चावल का कुल निर्यात 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा. पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो बीते साल नॉन- बासमती का निर्यात 6.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा. वहीं, भारत का चावल उत्पादन वर्ष 2022-23 में बढ़कर 135.54 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष में 129.47 मिलियन टन था.
दुनिया में भारत के उसना चावल के निर्यात की 67 प्रतिशत हिस्सेदारी
ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, वर्ष 2022-23 में भारत के कुल चावल निर्यात में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित गैर-बासमती सफेद चावल और उसना चावल की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत थी. उसना चावल के निर्यात बाजार की बात करें, तो 2022-23 में शीर्ष 10 बाजारों में ही भारत ने सबसे अधिक निर्यात किया. विश्व के शीर्ष 10 बाजारों में भारत के उसना चावल के निर्यात की 67 प्रतिशत हिस्सेदारी रही. जिनमें बेनिन (12 प्रतिशत), बांग्लादेश (9 प्रतिशत), गिनी (9 प्रतिशत), कोट डे आइवरी (9 प्रतिशत) और टोगो (8 प्रतिशत) में भारत ने 47 प्रतिशत चावल निर्यात किया. सोमालिया, लाइबेरिया, जिबूती, सियरा लियोन, श्रीलंका में निर्यात का हिस्सा 20 प्रतिशत रहा. वर्ष 2022-23 में प्रतिबंधित गैर-बासमती सफेद चावल के 59 प्रतिशत हिस्से का निर्यात अकेले शीर्ष 10 बाजारों में किया गया. इसके शीर्ष पांच निर्यात बाजार रहे बेनिन (8 प्रतिशत), केन्या (8 प्रतिशत), मेडागास्कर (8 प्रतिशत), कैमरून (6 प्रतिशत) और कोट डे आइवरी (6 प्रतिशत). बाकी के 23 प्रतिशत का निर्यात मोजाम्बिक, यूएई, वियतनाम, अंगोला और नेपाल के बाजारों में किया गया.
विभिन्न प्रकार के चावलों का वर्षवार निर्यात
(मिलियन डॉलर में)
वस्तु 2022-23 2021-22 वर्ष दर वर्ष वृद्धि ( प्रतिशत में)
बासमती चावल 4,787.50 3,537.49 35.34
उसना चावल 2,994.20 2,764.69 8.3
गैर-बासमती 2,203.52 2,000.39 10.15
सफेद चावल
किनकी (टूटे चावल) 983.47 1,132.94 -13.19
ब्राउन राइस 9.01 23.25 -61.24
स्रोत: अपीडा-डीजीसीआइएस
भारत दुनिया के शीर्ष 10 चावल उत्पादक देशों में शामिल
वैश्विक स्तर पर गन्ना और मक्का के बाद चावल का सबसे अधिक उत्पादन होता है. दुनिया की आधी से अधिक जनसंख्या का मुख्य भोजन चावल है, जिनमें एशिया, सब सहारा अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका चावल के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, दुनिया के 80 प्रतिशत से अधिक चावल का उत्पादन महज 10 देश करते हैं और ये सभी चावल उत्पादक देश एशिया में स्थित हैं. चावल का उत्पादन दुनिया के कई देशों में होता है, पर चीन और भारत दुनिया के दो शीर्ष चावल उत्पादक देश हैं और ये दोनों मिलकर कुल वैश्विक चावल के आधे से अधिक का उत्पादन करते हैं. एक अनुमान के अनुसार, 2022 के अंत तक दुनियाभर में लगभग 515 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ, जो वैश्विक उत्पादन में 0.23 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए डॉट जीओवी) की मानें, तो 2023-2024 में 520.5 मिलियन टन रिकॉर्ड चावल उत्पादन का अनुमान है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बना रहा. आयात की यदि बात करें, तो सब-सहारा अफ्रीका का क्षेत्र विश्व में सर्वाधिक चावल का आयात करता है.
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