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सैफ अली ने लिया 35 लाख का मेडीक्लेम और डॉक्टर ने बवाल काट दिया 

Saif Ali Health Insurance : डॉ. प्रशांत मिश्रा ने सैफ अली खान को मिले बीमा क्लेम पर सवाल उठाए, कहा- बीमा कंपनी ने अभिनेता को असामान्य रूप से अधिक क्लेम मंजूर किया

Saif Ali Health Insurance: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान, जिनका हाल ही में इलाज चल रहा था मंगलवार को लीलावती अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए. हालांकि, उनके हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया है. मुंबई के एक कार्डिएक सर्जन डॉ. प्रशांत मिश्रा ने सैफ अली खान को मिले बीमा क्लेम पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि बीमा कंपनी ने अभिनेता को जिस राशि का क्लेम अप्रूवल दिया है, उतना आमतौर पर किसी सामान्य व्यक्ति को नहीं दिया जाता.

डॉ. प्रशांत मिश्रा ने उठाए सवाल

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. मिश्रा का कहना है कि मिडिल क्लास पॉलिसी होल्डर्स को 5 लाख रुपये से अधिक का बीमा क्लेम प्राप्त करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. लेकिन सैफ अली खान के मामले में इतनी बड़ी राशि का क्लेम आसानी से स्वीकृत हो गया.

डॉ. प्रशांत ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि आम बीमाधारकों को बीमा कंपनियों से छोटी-छोटी राशि के लिए भी कई तरह की औपचारिकताओं और समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने लिखा, “एक आम व्यक्ति को 5 लाख रुपये तक के क्लेम के लिए लंबे समय तक लड़ाई लड़नी पड़ती है, जबकि सैफ अली खान को इतनी बड़ी राशि का अप्रूवल तुरंत मिल गया. यह दर्शाता है कि बीमा कंपनियों का रवैया खास और आम लोगों के लिए अलग-अलग है.”

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

डॉ. प्रशांत के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोग बीमा कंपनियों के व्यवहार और उनके क्लेम अप्रूवल की प्रक्रियाओं को लेकर सवाल उठा रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि यह घटना आम और खास के बीच भेदभाव को उजागर करती है. सैफ अली खान या उनकी टीम की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं, बीमा कंपनियों ने भी इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.

पोस्ट के जवाब में कई लोगों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए. एक उपयोगकर्ता ने क्लेम प्रक्रिया पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उनके इलाज के लिए बीमा कंपनी ने पूरी राशि मंज़ूर नहीं की

वहीं दूसरा यूजर ने रिप्लाइ में कि ” निजी स्वास्थ्य सेवा में बदलाव की जरूरत है, जिसमें निजी इक्विटी निवेश पर रोक, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर मूल्य नियंत्रण और बीमा कंपनियों द्वारा पूर्ण बिल भुगतान सुनिश्चित किया जाए”

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