Satta Law: सट्टा और जुआ भारत में पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके बावजूद लोग सट्टा मटका, सट्टा किंग, क्रिकेट में सट्टा या किसी भी दूसरे प्रकार के खेलों में सट्टा लगाने से बाज नहीं आते. लोग सट्टा में दांव लगाकर शॉर्टकट तरीके से लखपति बनने की फिराक में लगे रहते हैं. हालांकि, इस खेल के जो माहिर खिलाड़ी हैं, उन्हें इस बात की जानकारी रहती है कि देश में सट्टा लगाना गैर-कानूनी है, लेकिन वे कानून को ताख पर रखकर इस धंधे में पैसा लगाते हैं. अगर आप भी किसी प्रकार के सट्टे में पैसा लगाते हैं, तो सावधान हो जाइए. आज नहीं, तो कल आप कानून की चंगुल में फंस जाएंगे. इसके बाद आपको जेल की सजा भी हो सकती है और एक बार आप पर सट्टेबाज का ठप्पा लग जाएगा, तो फिर इससे निकलना मुश्किल हो जाएगा.
सट्टा खिलाने पर किस कानून के तहत कार्रवाई होती है?
भारत के किसी भी राज्य में अगर कोई व्यक्ति सरकार की इजाजत के बिना किसी भी प्रकार की लॉटरी या सट्टा खेलाता है या लॉटरी या सट्टा कार्यालय चलाता है, तो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 की धारा 294 (क) के तहत कार्रवाई की जाती है. इस कानून के तहत पुलिस को यह अधिकार दिया गया है कि वह ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दंड निर्धारण के लिए कोर्ट में पेश करे.
भारत में सट्टा के खिलाफ क्या कानून है?
हरियानी एंड कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में सट्टा और जुआ के खिलाफ अंग्रेजों के शासनकाल में ही कानून बना दिया गया था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II (राज्यों की सूची) में राज्य सरकारों को सट्टा और जुआ को प्रतिबंधित करने के लिए अलग से कानून बनाने का अधिकार देता है. हालांकि, आजादी से पहले कानून में राज्यों को ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया था. सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1867 देश में जुआ और सट्टेबाजी को कंट्रोल करता था. आजादी से पहले यह अधिनियम केवल केंद्रीय कानून था, जो लॉटरी को छोड़कर किसी भी तरह के मौके और संभावना के खेल को प्रतिबंधित करता है.
सट्टा पर रोक लगाने के लिए राज्यों में किस प्रकार के कानून लागू हैं?
हरियानी एंड कंपनी की रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश राज्यों ने सट्टेबाजी को नियंत्रित के लिए अलग से खुद का कानून बनाया है, जो केंद्रीय कानून यानी सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 पर आधारित हैं. इनमें जुआ और सट्टेबाजी गतिविधियों से संबंधित कुछ राज्य कानून पश्चिम बंगाल जुआ और पुरस्कार प्रतियोगिता अधिनियम-1957, बॉम्बे जुआ रोकथाम अधिनियम-1887, पंजाब सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1961, केरल जुआ अधिनियम-1960, गोवा, दमन और दीव सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1976, सिक्किम जुआ विनियमन (संशोधन) अधिनियम-2005 आदि शामिल हैं. अधिकांश राज्यों ने जुआ और सट्टेबाजी (घुड़दौड़, कुछ कार्ड गेम को छोड़कर) को प्रतिबंधित करने वाले अधिनियम पारित किए हैं, लेकिन दो राज्यों यानी गोवा और सिक्किम ने कई तरह के जुए और सट्टेबाजी को वैध बनाया है.
सट्टा खेलने पर कितने दिनों की जेल की सजा होती है?
केंद्रीय कानून सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1867 के तहत अगर कोई व्यक्ति सट्टा खेलते या खेलाते हुए पकड़ा जाता है, तो पुलिस उसे तत्काल गिरफ्तार कर सकती है. इसके बाद उसे अदालत में पेश किया जाता है. अदालत में सट्टा खेलने और खेलाने के जुर्म में 200 रुपये का जुर्माना या तीन महीने तक जेल की सजा देने का प्रावधान है. विशेष परिस्थिति में जुर्माना और जेल की सजा दोनों हो सकता है.
सट्टेबाजी के खिलाफ सीसीपीए ने किस प्रकार की एडवाइजरी जारी की है?
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की आधिकारिक वेबसाइट पर 6 मार्च 2024 को प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, सट्टेबाजी और जुए जैसी अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों के बढ़ते मामलों के जवाब में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने एडवाइजरी जारी की है. इसमें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के तहत प्रतिबंधित गैर-कानूनी गतिविधियों के विज्ञापन, प्रचार और समर्थन पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक जुआ अधिनियम-1867 के तहत सट्टेबाजी और जुआ को प्रतिबंधित किया गया है. इसके बावजूद, ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म और ऐप सीधे सट्टेबाजी और जुए का विज्ञापन करने के साथ-साथ गेमिंग की आड़ में भी विज्ञापन करते रहते हैं. सीसीपीए की एडवाइजरी में सट्टेबाजी और जुए के प्लेटफॉर्म का प्रचार करने के वालों को सख्त चेतावनी दी गई है. इसमें कहा गया है कि यह दिशानिर्देश सभी विज्ञापनों पर लागू होते हैं, चाहे जिस माध्यम का उपयोग किया गया हो. एडवाइरी मशहूर हस्तियों और प्रभावशाली लोगों को चेतावनी देती है कि ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के प्रचार या विज्ञापन में कोई भी जुड़ाव और इसकी गैर-कानूनी स्थिति को देखते हुए, किसी को भी अवैध गतिविधि में भाग लेने के लिए समान रूप से उत्तरदायी बनाता है.
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सट्टा खेलने और इसके विज्ञापन पर होगी सख्त कार्रवाई
सीसीपीए ने अपनी एडवाइजरी में चेतावनी दी है कि कानून में प्रतिबंधित सट्टेबाजी को समर्थन करने वाले विज्ञापनों की सख्त जांच की जाएगी. इसके साथ ही, गाइडलाइन और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के अनुसार निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं, प्रकाशकों, बिचौलियों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एंडोर्सर्स और किसी भी अन्य संबंधित हितधारकों सहित इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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