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सेबी कर्मचारियों का मुंबई में प्रदर्शन, माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग ने पकड़ा जोर

SEBI: सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग को लेकर गुरुवार को मुंबई में नियामकी संस्था के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया. उनके इस प्रदर्शन के पीछे का कारण यह है कि इन कर्मचारियों ने सरकार से सेबी में वर्क कल्चर को लेकर शिकायत की थी. इसके बाद सेबी ने उनके इस दावे को गलत करार दिया था, जिसके बाद कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा.

SEBI: बाजार नियामक सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड) की चेयरमैन माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग को लेकर गुरुवार को करीब 200 कर्मचारी मुंबई में प्रदर्शन कर रहे हैं. सेबी के ये सभी कर्मचारी बाजार विनियामक की ओर से अभी हाल में जारी किए गए एक प्रेस विज्ञप्ति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इसमें सेबी की ओर से कहा गया है कि उसके वर्क कल्चर को लेकर बाहरी तत्व गुमराह कर रहे हैं. सेबी के वर्क कल्चर को लेकर सेबी के कर्मचारियों ने सरकार से शिकायत की थी. सेबी कर्मचारियों का यह प्रदर्शन करीब दो घंटे तक चला. इसके बाद वे प्रदर्शन समाप्त करके अपने कार्यालय वापस लौट आए.

नन-प्रोफेशनल वर्क कल्चर का दावा गलत : सेबी

अंग्रेजी वेबसाइट मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी ने कामकाज की नन-प्रोफेशनल और टॉक्सिक वर्क कल्चर होने के दावों को बुधवार को गलत ठहरा दिया है. बाजार नियामक ने कहा कि उसके कर्मचारियों के आवास किराया भत्ते (एचआरए) से जुड़े मुद्दों को बाहरी तत्व गलत दिशा रहे हैं. सेबी का यह बयान उन खबरों के बीच आया है, जिनके मुताबिक नियामकीय संस्था के कर्मचारियों ने सरकार को पत्र लिखकर टॉक्सिक वर्क कल्चर पर चिंता जताई है. सेबी ने बयान में कहा कि 6 अगस्त, 2024 के इस पत्र में नन-प्रोफेशनल वर्क कल्चर के संबंध में किए गए दावे गलत हैं.

सेबी ने बाहरी तत्वों पर लगाया कनिष्ठ अधिकारियों को उकसाने का आरोप

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी ने आशंका जाहिर की है कि उसके कनिष्ठ अधिकारियों को कुछ बाहरी पक्षों से संदेश मिल रहे हैं, जो उन्हें मीडिया, मंत्रालय या बोर्ड में जाने के लिए उकसा रहे हैं. उसका मानना है कि बाहरी लोग संभवतः अपने एजेंडा के लिए ऐसा कर रहे हैं.

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सेबी ने कहा कि बाहरी तत्व शायद अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ऐसा कर रहे हैं. असल में 6 अगस्त, 2024 का पत्र सेबी कर्मचारी संघों ने सरकार और मीडिया के एक वर्ग को नहीं भेजा था. यह एक गुमनाम ईमेल के रूप में भेजा गया था. अधिकारियों और कर्मचारी संघों ने खुद इसकी निंदा करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ईमेल के जरिये इसकी जानकारी दी है.

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