Share Market This Week: पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में उठा-पटक का दौर देखने को मिला. इस बीच तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स करीब 800 अंक उछल गया. इसके साथ ही, निफ्टी में भी तेजी देखने को मिली. बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच भारतीय बाजार पर निवेशकों की निगाहें भारतीय बाजार पर टिकी हुई है. बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि इस सप्ताह घरेलू स्तर पर किसी बड़े घटनाक्रम की गैरमौजूदगी में शेयर बाजार काफी हद तक वैश्विक रुझानों से ही तय होंगे. विदेशी निवेशकों की कारोबारी गतिविधियों, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी घरेलू शेयर बाजारों की चाल को प्रभावित करेगी. स्वास्तिका इंवेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि स्पष्ट वैश्विक संकेतों के अभाव में बाजार का रुख मजबूती की उम्मीद में संभवतः अमेरिकी बॉन्ड के प्रतिफल, डॉलर सूचकांक और कच्चे तेल की कीमतों के साथ-साथ संस्थागत निवेश पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने तक बाजार की स्थिरता प्रभावित हो सकती है और उस समय तक बाजार का एक स्पष्ट रुझान सामने आ सकता है.
एफपीआई में हुई पूंजी निकासी
अगस्त से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) बड़े पैमाने पर भारतीय बाजारों से पूंजी की निकासी कर रहे हैं. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि अगस्त से लेकर 15 नवंबर तक एफपीआई ने कुल मिलाकर 83,422 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की है. हालांकि इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 77,995 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की. डीआईआई के साथ व्यक्तिगत निवेशकों की खरीदारी ने एफपीआई की बिक्री को पूरी तरह से बेअसर कर दिया. विजयकुमार ने कहा कि डीआईआई और व्यक्तिगत निवेशकों की लिवाली का ही असर है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी एक बार फिर 19,700 के आसपास मौजूद है जहां वह अगस्त की शुरुआत में था. मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंदर सिंह नंदा ने कहा कि बाजार वैश्विक और घरेलू व्यापक-आर्थिक आंकड़ों, अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल, कच्चे तेल के भंडारण, एफआईआई एवं डीआईआई के निवेश रुझान और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर ध्यान केंद्रित करेगा.
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1.57 प्रतिशत उछला निफ्टी
पिछले सप्ताह बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स 890.05 अंक यानी 1.37 प्रतिशत उछल गया, जबकि निफ्टी में 306.45 अंक यानी 1.57 प्रतिशत की तेजी रही. बीते सप्ताह बैंकिंग को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्र इस तेजी में शामिल रहे और मजबूत लाभ दर्ज किया. व्यापक सूचकांकों ने अपनी उछाल बरकरार रखी और मिडकैप सूचकांक ने भी दो महीने के बाद अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल कर ली. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (तकनीकी अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने कहा कि वैश्विक संकेत काफी हद तक इस प्रवृत्ति को तय कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि यह प्रवृत्ति आने वाले सप्ताह में भी जारी रहेगी.
नवंबर में एफपीआई का रुख बदला, अब तक 1,433 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश
पिछले ढाई महीनों में लगातार बिकवाली के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर में अब तक 1,433 करोड़ रुपये की भारतीय इक्विटी खरीदी है. इसका मुख्य कारण अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी है. एफपीआई 15 नवंबर तक शुद्ध विक्रेता की स्थिति में थे लेकिन डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार उन्होंने 16-17 नवंबर को भारतीय इक्विटी बाजार में निवेश कर बिकवाली की प्रवृत्ति को पलट दिया. मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के सह निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में जारी त्योहारी मौसम को भारतीय बाजार में एफपीआई की नए सिरे से रुचि के लिए एक कारक के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल गिरने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी कुछ दबावों को कम किया है जिससे बाजार में तेजी आई है.
बाजार में तेजी से लौटे निवेशक
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि बाजार के जुझारूपन और माकूल समय में तगड़ी तेजी ने एफपीआई को रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है. यही कारण है कि नवंबर के पहले दो हफ्तों में लगातार बिकवाली के बाद वे इस महीने की 15 और 16 तारीख को खरीदार बन गए. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी का काम पूरा कर लिया है और 2024 में धीरे-धीरे दरों में कटौती करना शुरू करेगा. अगर अमेरिकी मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख जारी रहता है तो फेडरल रिजर्व अगले साल के मध्य तक दरों में कटौती कर सकता है. इससे भारत जैसे उदीयमान बाजारों में एफपीआई प्रवाह को सुगम बनाया जा सकता है. आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी. इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे. उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था.
(भाषा इनपुट के साथ)
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