भारतीय शेयर बाजार (Share Market) के लिए साल 2023 काफी बेहतरीन रहा. इस साल निवेशकों ने बाजार से जबरदस्त मुनाफा कमाया. हालांकि, साल 2024 को लेकर निवेशकों के मन में काफी सारी आशंकाएं हैं. निवेशकों का मानना है कि इस साल वैश्विक और घरेलू स्तर पर ऐसी घटनाएं होने वाली हैं, जिनका असर बाजार पर दिखने वाला है. बाजार लीप ईयर (Leap Years) फोबिला से ग्रसित है. एक ट्रेंड बताया है कि लीप ईयर में बाजार क्रैश होता है. लीप ईयर यानी फरवरी महीने में एक एक्स्ट्रा दिन. हर चार साल में लीप ईयर आता है इसमें एक साल में 365 के बजाय 366 दिन होते हैं. साल 1992, 2000, 2008 और कोविड का दौर 2020 लीप ईयर थे. 1984 के बाद से बाजार प्रदर्शन के विश्लेषण से पता चलता है कि सभी 10 लीप वर्षों में औसत वार्षिक रिटर्न 8% से कम रहा है. वहीं, गैर-लीप वर्षों में औसतन 23 प्रतिशत रिटर्न देखने को मिला है. बात अगर साल 2024 की करें तो एक जनवरी को ही बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली.
क्या है लीप ईयर के घटनाक्रम
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साल 1992: हर्षद मेहता घोटाला के कारण 29 अप्रैल 1992 को, सेंसेक्स में 12.77 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई. जो भारतीय बाजार के इतिहास में सबसे गंभीर गिरावट में से एक थी. हालांकि, कैलेंडर वर्ष के उच्चतम स्तर से 42% नीचे बंद होने के बावजूद, सेंसेक्स 37% वार्षिक रिटर्न के साथ समाप्त होने में कामयाब रहा.
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साल 2000: इस वर्ष अमेरिका में डॉट-कॉम बुलबुला फूटने के कारण भारत सहित वैश्विक बाजारों को 21% नुकसान का सामना करना पड़ा.
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साल 2008: दलाल स्ट्रीट पर एक और उथल-पुथल का दौर देखा गया जब वैश्विक वित्तीय संकट के बीच सेंसेक्स ने अपना आधे से अधिक मूल्य खो दिया. निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
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साल 2016: निवेशकों ने नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक और अमेरिकी चुनावों जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं से चिह्नित एक अस्थिर स्थिति का सामना किया. पूरे साल बाजार में उठा-पटक का दौर रहा.
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साल 2020: कोविड संक्रमण के कारण पूरी दुनिया के मार्केट क्रैश होने लगे. वर्ष के अंत तक सूचकांक 16% बढ़कर बंद हुआ. जबकि, केंद्रीय बैंकों द्वारा बाजार में धन डालने के कारण, बड़ी गिरावट नहीं हुई. फिर भी, 23 मार्च, 2020 एक ऐतिहासिक दिन था जब सेंसेक्स निचली सर्किट सीमा पर पहुंच गया और एक ही दिन में 12.71% गिर गया.
क्या 2024 अन्य लीप वर्षों की तरह खूनी होगा?
साल 2024 की शुरूआत शेयर बाजार में गिरावट के साथ हुई है. एक जनवरी से तीन जनवरी 2024 तक बाजार में गिरावट रही. चार जनवरी 2024 को बाजार तेजी से उछला मगर एक बार फिर से पांच जनवरी को बाजार की चाल सुस्त हो गयी. दोपहर दो बजे तक बाजार केवल 33.18 अंकों की बढ़त के साथ 71,880.75 पर कारोबार कर रहा था. ऐसे में, बाजार चुनौतियों के ऐतिहासिक रुझान और सेंसेक्स-निफ्टी के रिकॉर्ड ऊंचाई के बावजूद निवेशक सतर्क हैं. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, दरों में कटौती और लोकसभा चुनावों से संबंधित सकारात्मक नतीजों की कीमत पहले ही तय हो चुकी है, जिससे सुरक्षा की बहुत कम गुंजाइश बची है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने दिसंबर 2024 तक निफ्टी में मामूली 1% की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है, जबकि अन्य ब्रोकरेज का लक्ष्य 23,000 तक पहुंचने का है. कोटक का उचित मूल्य मॉडल इंगित करता है कि सूचकांक वर्तमान में 20% अधिक मूल्यांकित है, जो आने वाले लीप वर्ष में निवेशकों के लिए सावधानी की एक और परत जोड़ता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इनवेसेट के पार्टनर और फंड मैनेजर अनिरुद्ध गर्ग ने कहा कि हमारा अनुमान है कि निफ्टी 21,600 का स्तर पर है. हमारे अनुमानों से पता चलता है कि सुधारात्मक चरण का अनुभव करने से पहले बाजार 24,000 के स्तर से ऊपर चढ़ सकता है. हमारा मानना है कि दिसंबर 2025 के अंत तक निफ्टी 25,000 से अधिक हो जाएगा. जबकि, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने दिसंबर 2024 तक निफ्टी में मामूली 1% की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है, जबकि अन्य ब्रोकरेज का लक्ष्य 23,000 तक पहुंचने का है. कोटक का उचित मूल्य मॉडल इंगित करता है कि सूचकांक वर्तमान में 20% अधिक मूल्यांकित है, जो आने वाले लीप वर्ष में निवेशकों के लिए सावधानी की एक और परत जोड़ता है. वहीं, ग्रीन पोर्टफोलियो के संस्थापक और फंड मैनेजर दिवम शर्मा का कहना है कि, हमें उम्मीद है कि 2024 में निफ्टी 24000 को पार कर जाएगा. इसमें बजट, भारत और अमेरिका में चुनाव, दर में कटौती के फैसले और भू-राजनीति के नतीजों सहित कई घटनाएं शामिल होंगी. हम निवेशकों की ओर से एक अंडरकरंट देख रहे हैं और यह गति 2024 में भी जारी रहनी चाहिए.
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