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सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति से अधिक पेड़ काटने पर मुंबई मेट्रो पर लगाया जुर्माना, दो हफ्ते में देने होंगे 10 लाख

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) बॉम्बे के निदेशक को यह सत्यापित करने के लिए एक टीम तैनात करने का निर्देश देते हैं कि दी गई व्यवस्था का पालन किया गया है अथवा नहीं. तीन सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाए.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को अनुमति से अधिक पेड़ों की कटाई करने पर दो सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का सोमवार को निर्देश दिया. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की एक पीठ ने कहा कि मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) की ओर से 84 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए पेड़ प्राधिकरण का रुख करना अनुचित है.

दो हफ्ते में 10 लाख रुपये का करें भुगतान

सर्वोच्च अदालत ने हालांकि मुंबई मेट्रो को आरे के जंगल से 177 पेड़ हटाने की अनुमति देते हुए कहा कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से परियोजना का काम रुक जाएगा. पीठ ने कहा कि एमएमआरसीएल दो सप्ताह के भीतर वन संरक्षक को 10 लाख रुपये बतौर जुर्माना अदा करे. संरक्षक यह सुनिश्चित करे कि निर्देशित वनीकरण को पूरा किया जाए.

आईआईटी बॉम्बे के निदेशक की टीम करेगी जांच

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) बॉम्बे के निदेशक को यह सत्यापित करने के लिए एक टीम तैनात करने का निर्देश देते हैं कि दी गई व्यवस्था का पालन किया गया है अथवा नहीं. तीन सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाए. कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए विधि के छात्र रिशव रंजन ने भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था, जिस पर शीर्ष अदालत ने 2019 में स्वत: संज्ञान लिया था.

मेट्रो लाइन 2बी को मंजूरी

बता दें कि मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) को मेट्रो लाइन 2बी के निर्माण के लिए अभी 14 अप्रैल को हरी झंडी मिली है. यह लाइन डीएन नगर से मांडले के बीच बनेगी. नागरिक उड्डयन प्राधिकरण द्वारा ऊंचाई संबंधी प्रतिबंध को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

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जनहित याचिका के जवाब में एमएमआरडीए को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एवं नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) का सहयोग से आया था. जनहित याचिका के जवाब में यह कहा गया था कि फ्लायर तथा हवाई अड्डे के सभी सुरक्षा उपाय किए गए थे और अनापत्ति प्रमाणपत्र सही तरीके से जारी की गया है.

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