Tesla Entry in India: एलन मस्क (Elon Musk) की दिग्गज इलेक्ट्रिक कार ब्रांड टेस्ला की भारत में एंट्री की तैयारी पूरी तेजी से चल रही है. कंपनी ने भारत में 2 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश करके अपना प्लांट बनाने की घोषणा की है. ऐसी चर्चा है कि टेस्ला अपना प्लांट गुजरात में लगा सकती है. इसके बाद, कुछ ही समय में कंपनी की गाड़ियां भारतीय सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आएंगी. समझा जा रहा है कि जनवरी 2024 में होने वाले वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है. इसके साथ ही, चर्चा है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एलन मस्क भी भारत आ सकते हैं. हालांकि, टेस्ला की तरफ से इसके बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है. जैसा सरकार की कोशिश है कि अगर टेस्ला लोकल लेवल पर बैटरी पैक का प्रोडक्शन भी करता है, तो ये स्टेप ईवी सेगमेंट के इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का काम करेगा. भारत में अभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी केवल 2.4 प्रतिशत है. मगर ये ग्राफ हर महीने बढ़ा जा रहा है. वहीं, टेस्ला भारत में प्लांट लगाकर पूरे दक्षिण एशिया में अपने कार बेचने की कोशिश में है.
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बड़ी संख्या में लोगों को मिलेगा रोजगार
टेस्ला के भारत में प्लांट लगाने से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके लिए प्रोफेशनल, स्किल्ड वर्कर और नॉन स्किल्ड वर्कर की जरूरत होगी. इससे कई स्टॉर्ट अप को भी बल मिलने की संभावना है. हालांकि, पूरी बात कंपनी की तरफ से मांगी जा रही रियायतों पर टिकी है. भारत सरकार के अधिकारी से पूछा गया था कि क्या सरकार टेस्ला के लिए विशिष्ट रियायतों पर विचार कर रही है. इस पर उन्होंने कहा कि कभी नहीं. किसी खास कंपनी के लिए ऐसा कभी नहीं होगा. ऐसा हमेशा सभी संस्थाओं, कंपनियों के लिए होगा. यदि कोई रियायत दी जाएगी, तो यह सभी के लिए काफी कड़े प्रदर्शन मानदंडों से जुड़ी होंगी. ऐसा कभी भी किसी खास उद्यम के लिए नहीं होगा. अधिकारी ने स्पष्ट किया कि शुल्क रियायतों और कंपनी से संबंधित अन्य खबरों में अटकलबाजी ज्यादा है. पिछले महीने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कैलिफोर्निया स्थित टेस्ला के विनिर्माण संयंत्र का दौरा किया था और कहा कि कंपनी भारत से अपने वाहन कलपूर्जों के आयात को दोगुना करेगी.
जनवरी तक क्यों अहम है डील
भारत और टेस्ला दोनों के लिए ये डील जनवरी तक होना काफी अहम माना जा रहा है. एक तरफ इस डील से भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से आगे बढ़ेगी. वहीं, जनवरी में गणतंत्र दिवस के मौके पर अमेरिकी प्रेसीडेंट जो बाइडन चीफ गेस्ट होंगे. ऐसे में भारत की पूरी कोशिश है कि वो इस डील को जनवरी तक डन कर ले. इस बीच भारत सरकार के साथ, टेस्ला के अधिकारियों ने कार और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है. ईवी मेकर ने भारत में अपना सप्लाई चेक इकोसिस्टम तैयार करने की भी बात की है. पीएमओ ने सरकारी विभागों को आदेश दिया है कि वो कंपनी के साथ निवेश को लेकर जो भी मतभेद है उसे दूर करें. अपने निवेश को लेकर टेस्ला ने भारत सरकार से मांग की थी कि वो पूरी तरह से असेंबल की गई इलेक्ट्रिक कारों पर 40 फीसदी इंपोर्ट शुल्क लगाये. वर्तमान में, विदेश से आने वाले 40,000 डॉलर से कम कीमत वाले वाहनों पर 60 फीसदी इंपोर्ट शुल्क लगता है. जबकि, इससे अधिक कीमत वाले वाहनों पर 100 फीसदी इंपोर्ट शुल्क की वसूली की जाती है.
लग्जरी कार नहीं बल्कि ईवी माने सरकार: टेस्ला
भारत सरकार के द्वारा वर्तमान में इलेक्ट्रिक कारों और हाइड्रोकार्बन से चलने वाली कारों में फर्क नहीं करती है. साथ ही, लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए हाई चार्ज वसूला जाता है. इस बारे में टेस्ला का कहना है कि भारत सरकार उसकी कारों को लग्जरी कार नहीं बल्कि ईवी माने. ये भारत और टेस्ला के बीच डील की सबसे बड़ी अड़चन है. इसके साथ ही, टेस्ला चाहती है कि वो भारत में अपने कारों का निर्माण शुरू करने से पहले देश में कुछ कारें बेचे. इससे उसे भारतीय बाजार का अंदाजा लग जाएगा. हालांकि, अब माना जा रहा है कि भारत में टेस्ला को लाने के लिए सरकार अपने इलेक्ट्रीक व्हीकल पॉलिसी में कुछ बदलाव कर सकती है.
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