नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में केंद्रीय बजट 2023 पेश करेंगी. इससे पहले कल यानी गुरुवार को संसद में हलवा सेरेमनी आयोजित किया जाएगा. सबसे बड़ी बात है कि इस साल का बजट पिछले तीन बजटों से बेहद खास है, क्योंकि इस साल का बजट चुनाव पूर्व वर्ष का पूर्ण बजट है. इसलिए इस साल के बजट से लोगों को काफी उम्मीदें बंधी हैं. शेयर बाजार के निवेशकों को भी इस साल संतुलित बजट की उम्मीद है. उनका मानना है कि सरकार आम बजट में रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने, घाटे पर काबू पाने और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर देगी.
संसद में एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने से पहले शेयर बाजार में सुस्ती का रुख बना हुआ है. इस जनवरी के महीने में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स करीब-करीब सपाट रहा है. यहां तक कि कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बाजारों को उत्साहित करने में विफल रहे. हालांकि, आईटी और बैंक जैसे कुछ सूचकांकों में सकारात्मक हलचल देखी गई.
समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक घरेलू शेयर बाजारों से 16,500 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. इसके अलावा मुद्रास्फीति और वैश्विक मंदी की आशंका से भी निवेशक सतर्क हैं. आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के इक्विटी शोध प्रमुख नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि इक्विटी निवेशक आम चुनाव से अपने आने वाले बजट 2023 में पूंजीगत लाभ के लिए एक समान कर संरचना की उम्मीद कर रहे हैं.
आनंद राठी ने कहा कि इसके अलावा, निवेशक राजकोषीय समेकन भी चाहेंगे, जो अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी है. निवेशक वृद्धि की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए नीतिगत सुधारों की उम्मीद भी कर रहे हैं. इन नीतिगत सुधारों में सब्सिडी, विनिवेश लक्ष्यों के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण में तेजी लाना शामिल है. आमतौर पर आम बजट से पहले शेयर बाजारों में खामोशी ही देखने को मिलती है. कुल मिलाकर पिछले 10 वर्षों में छह में बजट से पहले तेजी देखी गई, और बजट के बाद पिछले 10 वर्षों में छह बार गिरावट हुई.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि बाजार की नजर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे पर रहेगी. छह प्रतिशत से ऊपर का आंकड़ा बाजार को निराश करेगा, लेकिन इसकी आशंका कम है. उन्होंने आगे कहा कि पूंजीगत लाभ कर में अगर बढ़ोतरी की गई, तो इस प्रस्ताव का बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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जार्विस इंवेस्ट के संस्थापक और सीईओ सुमित चंदा ने कहा कि यदि वेतनभोगी वर्ग और कॉरपोरेट के हाथों में अधिक खर्च योग्य आय होगी, तो इससे बाजार चढ़ेगा. उन्होंने कहा कि वेतनभोगी वर्ग के कर स्लैब में कोई भी बदलाव या पूंजीगत व्यय अथवा कम करों के रूप में कॉरपोरेट को कोई भी प्रोत्साहन सकारात्मक माना जाएगा और बाजार में बजट के बाद तेजी की उम्मीद की जा सकती है.
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