UPI Payments: भारत में यूपीआई और डिजिटल पेमेंट को तेजी से स्वीकार किया जा रहा है. मोबाइल वॉलेट के बढ़ते चलन ने काफी हद तक नकदी और कार्ड जैसे पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़ दिया है. सुरक्षित इंटरफेस होने के कारण यूजर्स का भरोसा इसपर काफी तेजी से बढ़ा है. ऐसे में लंदन की डाटा एनालिस्ट कंपनी ग्लोबलडेटा ने भारत में मोबाइल वॉलेट पेमेंट से जुड़ा एक रिपोर्ट पेश किया है. इसमें बताया गया है कि साल 2028 तक भारत में मोबाइल वॉलेट के माध्यम से भुगतान 531.8 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो जाएगा. कंपनी का दावा है कि साल 2024 और 2028 के बीच 18.3 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) देखी जाएगी.
सरकार की पॉलिसी से आयी तेजी
ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मोबाइल वॉलेट भुगतान का मूल्य 2019 और 2023 के बीच 72.1 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 2023 में 202.8 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया. रिपोर्ट के अनुसार, इस तेजी के पीछे का मुख्य कारण सरकार की पॉलिसी है. सरकार के द्वारा डिजिटल भुगतान विधियों को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास किया जा रहा है. इससमें सबसे प्रमुख है मोबाइल वॉलेट-आधारित तत्काल भुगतान समाधान- युनिफाइट पेमेंट इंटरफेस (UPI) है. बता दें कि पिछले सप्ताह शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक के फैसलों की घोषणा करते हुए बताया था कि भारत में जल्द ही, यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस के माध्यम से बैंकों में नकद जमा सुविधाओं की सुविधा प्रदान मिलेगी. जो परंपरागत रूप से पीयर-टू-पीयर (पी2पी) लेनदेन, बिल भुगतान के लिए एक लोकप्रिय तरीका रहा है.
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क्या कहते हैं आंकड़े
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2024 में 12.1 बिलियन लेनदेन के जरिये 18.3 ट्रिलियन रुपयों का ट्रांजेक्शन किया गया. जो फरवरी 2023 में 7.5 बिलियन लेनदेन से 12.4 ट्रिलियन रुपये था. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कैलेंडर वर्ष 2023 (CY23) की दूसरी छमाही में UPI के माध्यम से लेनदेन 65.77 बिलियन तक पहुंच गया, जो साल 2022 के सामान तिमाही में 42.09 बिलियन से 56 प्रतिशत अधिक है.
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