Why Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार कमजोर ग्लोबल संकेतों और व्यापक बिकवाली के कारण बुधवार को धड़ाम से गिर गया है. दोपहर एक बजे बीएसई सेंसेक्स 1.91 प्रतिशत यानी 1,399.88 अंक टूटकर 71,728.89 पर कारोबार कर रहा था. जबकि, निफ्टी 1.76 प्रतिशत यानी 387.10 अंक गिरकर 21,645.20 पर कारोबार कर रहा था. बाजार के सभी इंडेक्स लाल निशान के साथ कारोबार करते हुए दिख रहे हैं. एचडीएफसी बैंक के तीसरी तिमाही के नतीजों से बैंकिंग शेयरों में सबसे अधिक गिरावट आई है. एचडीएफसी बैंक का अक्टूबर-दिसंबर तिमाही का एकीकृत शुद्ध लाभ 2.65 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 17,258 करोड़ रुपये रहा है. सितंबर तिमाही में यह 16,811 करोड़ रुपये था. एक्सिस बैंक, टाटा स्टील, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा मोटर्स और बजाज फाइनेंस के शेयर भी नुकसान में थे. वहीं दूसरी ओर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अल्ट्राटेक सीमेंट, इन्फोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टेक महिंद्रा के शेयर लाभ में कारोबार कर रहे थे. ऐसे में आइये जानते हैं कि बाजार टूटने के क्या कारण हैं.
Also Read: Share Market: औंधे मुंह गिरा भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स 1,371 टूटा, निफ्टी भी 395 अंक फिसला
बैंकिंग शेयर में आयी गिरावट
दिसंबर तिमाही के रिपोर्ट के बाद एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत में 6% से अधिक गिरा गया. बैंकिंग शेयरों में भारी बिकवाली का असर पूरे बाजार पर पड़ा है. इससे निफ्टी बैंक 2.5% से अधिक गिर गया. अन्य बैंकों के शेयर पर भी असर पड़ा है.
मुनाफावसूली से बाजार परेशान
विश्लेषकों का कहा कि पिछले सत्र में निफ्टी 22,100 से ऊपर पहुंचने के बाद, निवेशकों ने लाभ लेने का विकल्प चुना. इस बीच, मिडकैप और स्मॉलकैप क्षेत्र में बढ़े हुए मूल्यांकन पर चिंता के कारण भी बिकवाली शुरू हो गई. मिड और स्मॉल कैप क्षेत्र अत्यधिक मूल्यवान है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, मुनाफावसूली से पैसे को निश्चित आय में स्थानांतरित करने पर अब विचार किया जा सकता है.
कमजोर वैश्विक बाजार संकेत
कमजोर वैश्विक बाजार संकेतों ने भी घरेलू सूचकांकों को नीचे खींच लिया है. एशियाई बाजार लाल निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि बांड पैदावार बढ़ने के कारण अमेरिकी शेयर बाजार सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए. यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के केंद्रीय बैंकरों द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बाजार की उम्मीदों को धक्का लगा है. मंगलवार को अमेरिकी ट्रेजरी की पैदावार बढ़ गई. बेंचमार्क यूएस 10-वर्षीय ट्रेजरी नोट पर उपज 11 बीपीएस से अधिक बढ़कर 4.064% हो गई, जिसका असर जोखिम भरी संपत्तियों पर पड़ा.
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों पर पानी फिर गया
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वालर की टिप्पणी के बाद अमेरिका में मार्च में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल हो गई. फेड गवर्नर वालर ने कहा कि अमेरिका फेडरल रिजर्व के 2% मुद्रास्फीति लक्ष्य के काफी दूरी के भीतर है, लेकिन केंद्रीय बैंक को अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में कटौती करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए जब तक कि यह स्पष्ट न हो जाए कि कम मुद्रास्फीति बरकरार रहेगी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.