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World Bank: भारतीय युवाओं को रोजगार देने पर विश्व बैंक की नजर, जानें अजय बंगा देश के GDP पर क्या कहा

World Bank: विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा ने भारतीय अर्थ व्यवस्था की जमकर तारीफ की है. भारत वैश्विक सुस्ती के दौर में कई ऐसे कदम उठा रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं. देश कोविड महामारी के समय पैदा हुई चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है.

World Bank: विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा (Ajay Banga) ने भारतीय अर्थव्यवस्था की जमकर तारीफ की है. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत के पास मौका है कि वो चीन प्लस वन रणनीति का फायदा उठाये. अजय बंगा ने कहा कि भारत वैश्विक सुस्ती के दौर में कई ऐसे कदम उठा रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं. देश कोविड महामारी के समय पैदा हुई चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है. मगर भारतीय अर्थव्यवस्था की ये रफ्तार आगे भी कायम रखने की जरूरत है. भारत वैश्विक स्तर पर कायम सुस्ती के बीच काफी कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं. इसके पक्ष में एक खास बात यह है कि इसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बड़ा हिस्सा घरेलू स्तर का है.

भारत घरेलू खपत से सुरक्षित

अजय बंगा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर सुस्ती होने के बावजूद अपने घरेलू खपत की वजह से सुरक्षित है. उच्च आय वाली नौकरियों में संभावित वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर बंगा ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि ये नौकरियां कहां पर हैं. ये नौकरियां प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैं और बहुत कम संख्या में हैं. फिर विनिर्माण क्षेत्र में ऐसी नौकरियां हैं. भारत के सामने फिलहाल यह मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन’ रणनीति का फायदा उठाए. चीन प्लस वन रणनीति का मतलब है कि दुनिया के विकसित देशों की कंपनियां अब अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य देश को भी जोड़ना चाहती हैं. इसके लिए भारत भी एक संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है. भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि चीन प्लस वन रणनीति से मिलने वाला अवसर उसके लिए 10 वर्षों तक नहीं खुला रहेगा. यह तीन से लेकर पांच साल तक उपलब्ध रहने वाला अवसर है जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य देश में ले जाने या चीन के साथ अन्य देश को जोड़ने की जरूरत है.

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कई कंपनियां कर रही चीन के विकल्प की तलाश

विश्व बैंक के प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान चीन में विनिर्माण गतिविधियां पूरी तरह ठप होने से आपूर्ति शृंखला पर बहुत बुरा असर पड़ा था. उसी समय से बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विनिर्माण गतिविधियों के लिए चीन के विकल्प की तलाश शुरू कर दी थी. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ जी20 सम्मेलन और विश्व बैंक एवं भारत के बीच सहयोग जैसे कई मुद्दों पर भी उनकी चर्चा हुई है. बता दें कि पिछले महीने की शुरुआत में विश्व बैंक की कमान संभालने वाले 63 वर्षीय बंगा इस समय भारत के दौरे पर आए हैं. यह विश्व बैंक अध्यक्ष के तौर पर उनकी पहली भारत यात्रा है.

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कोविड में सीखने से स्तर को हुआ नुकसान

कोविड महामारी के बारे में बोलते हुए अजय बंगा के कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने से दुनिया भर में सीखने-सिखाने के स्तर पर काफी नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोना महामारी के दौरान स्कूल बंद रहे. यह पूरी दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र का नुकसान था. अगली किसी महामारी में भी हमें यह नुकसान नहीं झेलना पड़े उसके लिए हमें ढांचा तैयार करके रखना होगा. उन्होंने कहा कि नवीकरणीय उर्जा के स्त्रोतों को विकसित करने के लिए हमें खरबों डॉलर की जरूरत है. हम केवल सरकार के भरोसे रहकर यह भारी-भरकम राशि नहीं जुटा सकते. हमें इसके लिए निजी क्षेत्र को भी साथ लाना होगा.

एशियाई डेवलपमेंट बैंक ने भी दिए बेहतर संकेत

अजय बंगा से पहले बुधवार को एशियाई डेवलपमेंट बैंक ने भी भारत के लिए बेहतर आशा व्यक्त की है.एशियाई विकास बैंक (ADB) ने इसके लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.4 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष के लिए 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. साथ ही, अनुमान लगाया है कि मजबूत घरेलू मांग से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को उबरने में मदद मिलेगी. अप्रैल में भी बैंक के द्वारा अनुमान लगाया गया था कि सख्त मौद्रिक स्थितियों और तेल की ऊंची कीमतों के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद है. एशियाई विकास बैंक (ADB) ने बताया है कि चालू वित्त वर्ष में उम्मीद जतायी है कि एशियाई देशों में महंगाई की बढ़ती रफ्तार में आगे भी गिरावट जारी रहने के आसार है. इसके साथ ही, बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत का वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रखा है. बैंक ने अनुमान लगाया है कि कच्चे तेल के दाम में गिरावट जारी है. ऐसे में महंगाई का दर इस वित्त वर्ष में कोरोना के पहले के वैश्विक महंगाई दर के बराबर आ सकता है. अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क का कहना है कि भारत की घरेलू मांग और सर्विस सेक्टर की गतिविधियां तेजी से विकास को रफ्तार दे रही हैं. इसके साथ ही, कई अन्य देशों ने पर्यटन में मजबूत सुधार से भी अर्थव्यवस्था में बड़ा फायदा मिल रहा है. बैंक का मानना है कि कमजोर निर्यात परेशानी का कारण बना हुआ है. ऐसे में अगले साल वैश्विक विकास और मांग को लेकर स्थिति खराब दिख रही है.

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