World Economic Forum: दुनिया के कई देश अपनी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था से परेशान हो रहे हैं. दूसरी तरफ, भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन महंगाई की मार झेल रहे हैं. ऐसी स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे निकल रही है. अब इसकी तारीफ वर्ल्ड इकोनॉमिक फॉर्म (WEF) ने भी भारत की जमकर तारीफ की है. डब्ल्यूईएफ के वित्तीय और मौद्रिक प्रणाली केंद्र के प्रमुख मैथ्यू ब्लेक ने कहा कि दिवाला कानून और कराधान संहिता जैसे नीतिगत बदलावों तथा डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (DPI) की वजह से भारत वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए आकर्षक निवेश गंतव्य बन गया है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में एक है और निवेशकों ने यहां पैसा बनाया है.
निवेशकों को शिक्षित करने की जरुरत
World Economic Forum के मैथ्यू ब्लेक ने कहा कि बाजार हमेशा एक दिशा में नहीं चलते हैं, और यहां उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है, इसलिए निवेशकों को शिक्षित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग नीतिगत विकल्पों की वजह से भारत काफी आकर्षक निवेश गंतव्य बन गया है. तकनीकी नजरिये से एक सक्षम वातावरण बनाने वाले डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के साथ ही आपके पास दिवाला कानून और कराधान संहिता भी हैं. उन्होंने कहा कि डब्ल्यूईएफ और कैम्ब्रिज सेंटर फॉर अल्टरनेटिव फाइनेंस के फिनटेक सीईओ सर्वेक्षण से पता चला है कि 70 प्रतिशत कंपनियां एआई को एक बड़ी ताकत मानती हैं. उन्होंने क्षेत्रीय नियामकों से कहा कि जोखिम प्रबंधन के संदर्भ में एआई मददगार हो सकता है और उन्हें प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलावों के अनुरूप खुद को ढालने की जरूरत है.
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मॉर्गन स्टेनली ने भी की थी तारीफ
मॉर्गन स्टेनली ने भी पिछले सप्ताह भारत के जीडीपी के आठ प्रतिशत से ज्यादा होने के अनुमान जताया था. उन्होंने एक रिपोर्ट ‘द व्यूपॉइंट: इंडिया – व्हाई दिस फील लाइक 2003-07’ में कहा कि एक दशक तक जीडीपी के मुकाबले निवेश में लगातार गिरावट के बाद अब भारत में पूंजीगत व्यय वृद्धि के प्रमुख चालक के रूप में उभरा है. रिपोर्ट के मुताबिक, हमें लगता है कि पूंजीगत व्यय चक्र के लिए पर्याप्त गुंजाइश है और इसलिए वर्तमान तेजी 2003-07 के समान है. मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वर्तमान तेजी खपत की तुलना में निवेश बढ़ने के चलते है. शुरुआत में इसे सार्वजनिक पूंजीगत व्यय से समर्थन मिला, लेकिन निजी पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि हो रही है. इसी तरह खपत को पहले शहरी उपभोक्ताओं ने सहारा दिया और बाद में ग्रामीण मांग भी बढ़ी. (भाषा इनपुट के साथ)
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