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पिता ने दिया ताना तो छोटी दुकान से बना दी 2130 करोड़ की कंपनी, जानें ‘Wow Momos’ की पूरी कहानी

Wow Momo Story: कंपनी के दो विंग Wow!चीन से 14 करोड़ रुपये महीने की कमाई और 3 करोड़ प्रतिमाह की कमाई Wow!चिकन से होती है. भारत में कंपनी के अभी दो प्रोडक्शन प्लांट सेंटर हैं, इसमें हर रोज करीब 10 लाख मोमोज का प्रोडक्शन होता है.

Wow Momo Story: किसने कभी सोचा होगा कि सिर्फ मोमोज बेचकर कोई हर दिन 6 लाख रुपये तक कमा सकता है? खौर छोड़िए, अगर कहें कि मोमो बेचकर किसी ने दो हजार करोड़ की संपत्ति बना ली तो भी विश्वास करेंगे क्या? अगर सच में नहीं करेंगे तो मिलिए कोलकाता के व्यवसायी सागर दरयानी से, जिन्होंने एक साधारण मोमो स्टॉल को एक शानदार व्यवसाय में बदल दिया. अपनी मेहनत और लगन ‘Wow Momos‘ नाम की कंपनी को खड़ा किया. अब उस कंपनी का सालाना टर्नओवर रु. 2130 करोड़ है. हालांकि, ये रास्ता इनता आसान नहीं था. मां-बाप का सपना, सोशल प्रेशर, पैसे की तंगी, प्रयोग और प्लानिंग जैसे कई तीखे, खट्टे और मीठे मसालों से बनी चटनी इस मोमो कंपनी के साथ जुड़ी हुई है. हालांकि, अभी अनुमानित तौर पर कंपनी हर महीने करीब 25 करोड़ की कमाई करती है. इसके अलावा, कंपनी के दो विंग Wow!चीन से 14 करोड़ रुपये महीने की कमाई और 3 करोड़ प्रतिमाह की कमाई Wow!चिकन से होती है. भारत में कंपनी के अभी दो प्रोडक्शन प्लांट सेंटर हैं, इसमें हर रोज करीब 10 लाख मोमोज का प्रोडक्शन होता है. कंपनी ने अपने कुशल बिजनेस प्लान से अभी तक करीब, 68.5 मिलियन डॉलर का फंड जमा कर चुकी है.

2008 में शुरू किया था स्टॉल

सागर दरयानी अपने सह-संस्थापक बिनोद कुमार के साथ एक साधारण शुरुआत से इस भव्य यात्रा पर निकले. सागर दरयानी और बिनोद कुमार ने 2008 में मोमो व्यवसाय शुरू किया. शुरुआती दौर में उनकी राह चुनौतियों से भरी थी. सागर के माता-पिता ने उसके लिए एक अलग भविष्य की कल्पना की, और उसे आगे की शिक्षा प्राप्त करने और एक पारंपरिक करियर बनाने के लिए कहा. सेंट जेवियर्स कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी करने के दौरान, सागर के मोमोज़ बेचने के निर्णय को उसके माता-पिता से तत्काल स्वीकृति नहीं मिली. फिर भी, वह कायम रहे और अपने मामूली विचार को एक फलती-फूलती वास्तविकता में बदल दिया. बिनोद के साथ देर रात के अध्ययन सत्र के दौरान सागर अक्सर पास के भोजनालयों से पिज्जा और बर्गर जैसे फास्ट फूड का ऑर्डर देता था. इसी दौरान उन्हें मोमोज़ क्षेत्र में अप्रयुक्त क्षमता का एहसास हुआ.

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एक टेबल और दो शेफ के साथ शुरू किया था काम

कंपनी के दोनों संस्थापकों ने 2008 में अपनी पहली मोमो शॉप लॉन्च करने का बड़ा कदम उठाया. केवल एक टेबल और दो शेफ के साथ, वे अपनी उद्यमशीलता यात्रा पर आगे बढ़े और बाकी इतिहास है. उस वक्त उनकी बचत मात्र 30,000 रुपये थी. शुरुआती दो साल फंड की कमी के कारण चुनौतियों और संघर्षों से भरे रहे. मार्केटिंग और विज्ञापन के लिए, सागर वॉव मोमो टी-शर्ट पहनते थे, जिससे खुद को एक चलते-फिरते विज्ञापन में बदल दिया गया. अतिरिक्त प्रयास करते हुए, उन्होंने अपने ग्राहक आधार का और विस्तार करने के लिए मोमो व्यंजनों में नवाचार करना शुरू कर दिया. छोटे मोमो स्टॉल के सफल होने के बाद, सागर और बिनोद ने फ्रैंचाइज़ी मॉडल को अपनाया और कई अतिरिक्त स्टोर खोले. 2,130 करोड़ रुपये के कुल मूल्यांकन के साथ, उनकी यात्रा उभरते उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा के अलावा और कुछ नहीं है. अकेले वर्ष 2023 में, उनकी कंपनी का राजस्व 222 करोड़ रुपये से बढ़कर 400 करोड़ कर लिया. वर्तमान में, उनके व्यापारिक साम्राज्य में बिक्री के लिए लगभग 800 ऑउटलेट है. कंपनी इस साल 150 से 180 नये आउटलेट खोलने का प्लान कर रही है.

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क्रिएटिव स्टाइल ने दिलाई पहचान

जिस वक्त कंपनी की शुरूआत की गयी, उस वक्त मार्केट में हर गली कोने पर मोमोज बेचे जा रहे थे. ऐसे में सागर दरयानी और बिनोद कुमार शुरुआती दिनों से ही, क्रिएटिव आईडिया के साथ मोमोज को मार्केट में प्रजेंट करने की प्लानिंग की. स्टीम मोमोज के साथ ही इसमें क्रिएटिविटी दिखाते हुए तंदूरी मोमोज, कॉकलेज मोमोज, फ्राई मोमोज जैसी अन्य वैराइटी भी बेचनी स्टार्ट कर दी. सागर की ये तरकीब काम आई और उनकी दुकान चल निकली. Wow Momos का नाम लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा और लोगों की भीड़ दुकान पर जुटने लगी.

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