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Bihar Election 2020: बक्सर में महिला उम्मीदवारों ने दमखम के साथ पार्टियों को पहनाया है जीत का सेहरा…

बक्सर. आजादी के 78 वर्षों बाद भी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम नजर आती है. इसके पीछे मर्दवादी सोच कहें या समाज या फिर महिलाओं में राजनीति के प्रति कम रूझान. लेकिन, यह तय है कि जिन महिलाओं ने राजनीति में अपने पैर जमायें हैं, वे पुरुषों से कहीं कम नहीं दिखतीं. किसी भी पार्टी की हिस्सा रहीं महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. प्रत्याशी के रूप जिले के चारों विधान सभा क्षेत्र में विगत तीस सालों में उनकी दावेदारी भले ही कम रही हो, परंतु जिन महिलाओं ने दावेदारी की, उनमें अधिकांश ने पुरुषों से जबर्दस्त मुकाबला किया और पार्टियों को जीत का सेहरा पहनाया है. कई बार रनर भी रहीं. ये महिलाएं अपने फैसले पर अडिग रही हैं.

बक्सर. आजादी के 78 वर्षों बाद भी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम नजर आती है. इसके पीछे मर्दवादी सोच कहें या समाज या फिर महिलाओं में राजनीति के प्रति कम रूझान. लेकिन, यह तय है कि जिन महिलाओं ने राजनीति में अपने पैर जमायें हैं, वे पुरुषों से कहीं कम नहीं दिखतीं. किसी भी पार्टी की हिस्सा रहीं महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. प्रत्याशी के रूप जिले के चारों विधान सभा क्षेत्र में विगत तीस सालों में उनकी दावेदारी भले ही कम रही हो, परंतु जिन महिलाओं ने दावेदारी की, उनमें अधिकांश ने पुरुषों से जबर्दस्त मुकाबला किया और पार्टियों को जीत का सेहरा पहनाया है. कई बार रनर भी रहीं. ये महिलाएं अपने फैसले पर अडिग रही हैं.

दो महिला प्रत्याशियों ने 32 पुरूषों को चुनौती दी

नामांकन दाखिल करने के बाद पुरूषों की अपेक्षा नाम वापसी में भी कम दिलचस्पी दिखलायी. वर्ष 1990 में बक्सर विधानसभा सीट से दो महिला प्रत्याशियों ने 32 पुरूषों को चुनौती दी थी. इनमें बक्सर विधानसभा सीट पर सीपीएम से मंजू प्रकाश ने कांग्रेस के जगनारायण त्रिवेदी को कड़ी टक्कर देकर सीट पर कब्जा जमाया था. वर्ष 1995 में भी मंजू प्रकाश इस सीट पर काबिज रहीं. जबकि इसी साल डुमरांव से भी एक महिला प्रत्याशी 23 पुरूषों के मुकाबले खड़ी रही. वहीं, वर्ष 2000 में बक्सर विधानसभा सीट पर बीजेपी की ओर से प्रो. सुखदा पांडेय और सीपीएम की मंजू प्रकाश के बीच मुख्य रूप से टक्कर थी. जिसमें सुखदा पांडेय ने 1673 वोटों से जीत दर्ज की थी. इन दो महिलाओं के मुकाबले बक्सर में 12 पुरुष प्रत्याशी खड़े थे. इनमें 11 की जमानत जब्त हो गयी.

राजपुर विधानसभा में भी 14 पुरूषों के खिलाफ दो महिलाएं मैदान में

राजपुर विधानसभा में भी 14 पुरूषों के खिलाफ दो महिलाएं मैदान में थीं. फरवरी 2005 में बक्सर विधानसभा सीट पर दो महिलाएं 16 पुरुष प्रत्याशियों को एवं राजपुर में दो ही महिलाएं दस पुरुष प्रत्याशियों को चुनौती दी. जिसमें बक्सर और राजपुर दोनों जगहों से महिलाएं काबिज रही. बक्सर से बीजेपी उम्मीदवार सुखदा पांडेय और राजपुर से जदयू उम्मीदवार श्याम प्यारी देवी के सिर जीत का सेहरा सजा. वहीं, डुमरांव विधानसभा सीट पर दो महिलाओं की दावेदारी 14 पुरुष प्रत्याशियों के खिलाफ रही. यहां महिला उम्मीदवार तो नहीं जीती. लेकिन, दूसरे स्थान पर रही. 9419 वोटों से महिला उम्मीदवार अनुराधा देवी पीछे रह गयीं. राष्ट्रपति शासन हटने के बाद दोबारा अक्टूबर 2005 में जब चुनाव हुआ तो बक्सर विधानसभा पर एक महिला के मुकाबले सात पुरुष उम्मीदवार थे. जिसमें बीजेपी की सुखदा पांडेय ने जीत तो दर्ज नहीं की. लेकिन, अपने सीट पर कड़ी टक्कर दी.

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ब्रम्हपुर विधानसभा सीट पर 15 पुरूषों की अपेक्षा एक महिला मैदान में

बीएसपी के प्रतिद्वंद्धी हृदय नारायण सिंह महज 1027 वोट से ही जीत दर्ज कर पाएं. वहीं, ब्रम्हपुर विधानसभा सीट पर 15 पुरूषों की अपेक्षा एक महिला मैदान में खड़ी रही. राजपुर विधानसभा क्षेत्र में एक महिला उम्मीदवार सात पुरूषों के मुकाबले भारी पड़ी. जदयू से श्याम प्यारी देवी ने 5700 वोट से बीएसपी के संतोष कुमार निराला को पराजित की. डुमरांव में भी दो महिला उम्मीदवारों ने सात पुरुष प्रत्याशियों को टक्कर देने के लिए खड़ी रहीं. यहां तो किसी महिला ने जीत नहीं दर्ज की. लेकिन, वोट को काफी प्रभावित की. वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने पुरूषों को कड़ा टक्कर दी थी.

बक्सर विधानसभा सीट पर 20 पुरूषों के मुकाबले पांच महिला उम्मीदवार मैदान में

बक्सर विधानसभा सीट पर 20 पुरूषों के मुकाबले पांच महिला उम्मीदवार मैदान में खड़ी हुई. 20 सालों में पहली बार वर्ष 2010 में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी. ऐसे में बीजेपी से प्रो. सुखदा पांडेय ने फिर एक बार बक्सर की सीट पर काबिज हो गयी. अपने प्रतिद्वंद्धी राजद प्रत्याशी श्यामलाल सिंह कुशवाहा को 20 हजार 183 वोटों से हराया. वहीं, ब्रम्हपुर में दिलमणी देवी ने राजद के अजीत चौधरी को पराजित की. यहां 22 पुरूषों के मुकाबले तीन महिला प्रत्याशी मैदान में खड़ी थीं. चार विधानसभा सीट पर दो महिलाओं का कब्जा रहा. हालांकि राजपुर विधानसभा सीट पर केवल एक महिला प्रत्याशी खड़ी हुई और डुमरांव में तीन. जीत तो नहीं हुई. लेकिन, चर्चा खूब हुई. हालांकि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में बक्सर में तीन महिलाओं ने 26 पुरुष और डुमरांव में एक महिला 15 पुरूषों के मुकाबले खड़ी थीं. जीत तो दर्ज नहीं हुई. लेकिन, आधी आबादी की भूमिका बनी रही. अब इस बार यानी 2020 के आसन्न विधानसभा चुनाव में महिलाओं की कितनी भागीदारी बनती है और पार्टियां महिलाओं पर कितना विश्वास कर पाते हैं. यह देखना लाजिमी होगा.

(रिपोर्ट:-पंकज कुमार)

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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