कलकत्ता उच्च न्यायालय 72 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या में से केवल 39 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है और इसमें दो लाख से अधिक मामले लंबित हैं. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने शनिवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में तीन और अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति की घोषणा की, जिससे उनकी संख्या बढ़कर 42 हो जाएगी. कानून विशेषज्ञों का कहना है कि लंबित मामलों के साथ-साथ नई दायर याचिकाओं से निपटने के लिए न्यायाधीशों की संख्या को जल्द से जल्द और बढ़ाने की जरूरत है.
न्यायपालिका की ओर से लंबित मामलों को कम करने के प्रयासों के बावजूद उच्च न्यायालय के समक्ष कुल 2,34,539 मामले लंबित हैं. न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, कलकत्ता उच्च न्यायालय में 72 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है और वह केवल 39 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है. तीन नवनियुक्त न्यायाधीशों के शपथ लेने के बाद यह संख्या बढ़कर 42 हो जाएगी. लेकिन फिर भी स्वीकृत संख्या से 30 की या 41.66 प्रतिशत की कमी रहेगी.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक गांगुली ने कहा कि उच्च न्यायालय के साथ ही उप-संभागीय (सब डिविजनल) और जिला अदालतों में भी न्यायाधीशों की संख्या तत्काल बढ़ाई जानी चाहिए. आंकड़ों के अनुसार 28 फरवरी तक लंबित 2,34,539 मामलों में से 1,97,184 मामले दीवानी हैं, जबकि उस तारीख तक लंबित आपराधिक मामलों की संख्या 37,355 है.
उच्च न्यायालय कोलकाता में है, वहीं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर और उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी में इसकी स्थायी सर्किट पीठ हैं. गांगुली ने कहा, ”यहां तक कि पूरी क्षमता होने के बाद भी न्यायाधीशों की संख्या अपर्याप्त है और इसलिए 40 प्रतिशत से अधिक कमी होने के कारण लंबित मामलों को कम करना बहुत मुश्किल है.” गांगुली ने ”पीटीआई-भाषा” से कहा कि अदालत में नए मामलों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि लोगों के पास न्याय मांगने के लिए कोई और स्थान नहीं है.
उन्होंने कहा, ”मामले बढ़ रहे हैं जबकि न्यायाधीशों की संख्या कम हो रही है. सरकारों को नए न्यायाधीशों की नियुक्ति में तेजी लाने की जरूरत है.” न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों को स्थिति को ठीक करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है. गांगुली ने कहा कि निचली न्यायपालिका में भी बहुत सारे पद खाली हैं जिन्हें भरने की जरूरत है. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार, 14 मई तक पश्चिम बंगाल की विभिन्न अदालतों में कुल 26,64,284 मामले लंबित हैं.
आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 20,47,901 मामले आपराधिक हैं, जबकि 6,16,383 दीवानी मामले हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय बार संघ के अध्यक्ष अरुणाभ घोष ने कहा कि पीठ की अपर्याप्त क्षमता के कारण एक ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हुई है, जहां न्यायाधीशों को हमेशा उनकी विशेषज्ञता के अनुसार न्याय क्षेत्र नहीं मिलता है. उन्होंने दावा किया कि देश भर के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 200 से अधिक पद खाली हैं. घोष ने मामलों के शीघ्र निपटान के लिए इन पदों को तत्काल भरने का आह्वान किया.