गंगासागर से नम्रता पांडेय : शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की वजह से भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार में जो पिशाच प्रवृत्ति थी, वही आज की सरकार में भी दिखाई पड़ रही है. सिर्फ ऊपरी आस्था दिख रही है. शंकराचार्य ने ये बातें गंगासागर में पत्रकारों से बातचीत में बुधवार को कहीं. उन्होंने गंगासागर को राष्ट्रीय मेला भी घोषित किया.
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि नेहरू की तरह ही वर्तमान सरकार भी आध्यात्मिक तंत्र से संबंधित मनीषियों को राजनेता अपनी तरह से चलाने की कोशिश कर रहे हैं. नेहरू ने जो पिचाश वृत्ति चलायी थी, आज भी दिखाई पड़ रही है. यह आगे चलकर विनाशक साबित हो सकती है.
शंकराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुणों की उन्होंने आध्यात्मिक व्याख्या की है. मोदी में कूटनीति के तीनों गुणों का सम्मिश्रण है. वह मिलन, नमन और दमन से भरपूर हैं. पूरा विश्व उन्हें श्रेष्ठ राजनेता मान रहा है. उन्होंने कहा कि शासन के मुख्य तंत्र शिक्षा, रक्षा व सेवा हैं. इसे सभी को संतुलित रूप से उपलब्ध कराना शासन तंत्र का काम है.
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शंकराचार्य ने कहा कि मोदी जी की विदेश नीति अच्छी है, इसमें दो राय नहीं. उसी के कारण आज भारत की सीमा सुरक्षित है. श्री शंकराचार्य ने कृषि कानून को लेकर कहा कि गीता के 18वें अध्याय के 44वें श्लोक में कृषि, गौरक्षा और वाणिज्य में सामंजस्य स्थापित करके काम करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि जो शासक इन तीनों में सामंजस्य स्थापित कर लेता है,उसके लिए यह वरदान बन जाता है, नहीं तो वही अभिशाप बन जाता है.
शंकराचार्य ने कोरोना महामारी को लेकर कहा कि इसका मुख्य कारण विश्व भर में विकास को क्रियान्वित करने का गलत तरीका है. इसने ऊर्जा के सकल स्रोतों को विस्फोटक और कुपित कर दिया है. उन्होंने कहा कि ऊर्जा के स्रोतों को प्रभावित किये बगैर विकास का मार्ग नहीं ढूंढ़ा गया, तो कोरोना की वैक्सीन के बाद भी भविष्य में ऐसे विस्फोटक वातावरण बन सकते हैं.
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वह धार्मिक व आध्यात्मिक न्यायाधीश के रूप में गंगासागर मेला को राष्ट्रीय मेला घोषित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शासन तंत्र तो बदलता रहता है, आज किसी का शासन है, तो यह कल किसी और का हो सकता है. मुख्यमंत्री मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित करें न करें, वह अपने अधिकार के दायरे में गंगासागर मेला को राष्ट्रीय मेला घोषित कर रहे हैं.
शंकराचार्य ने कहा कि गंगासागर का अपना महत्व है. यह राजा सगर के पुत्रों के उद्धार की भूमि और कपिल मुनि की तपस्थली है. पहले गंगासागर एक बार कहा जाता था, क्योंकि पहले गंगासागर में सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं. पर अब यहां काफी सुविधाएं हैं. अब पुल बनने की भी बात हो रही है, तो पहले जैसी कोई समस्या नहीं रहेगी.
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि उनकी मेला ऑफिसर से बात हो गयी है. वह हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेला के दौरान भी पुण्य स्नान करेंगे. लेकिन, अभी तक तिथि निश्चित नहीं हुई है.
Posted By : Mithilesh Jha