वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार अगले दो वर्षों में कोलकाता में लगभग 1,200 इलेक्ट्रिक बसें (Electric Buses) उतारेगी, जिनमें से 400 बसें जनवरी 2023 तक चलने लगेंगी. एक उच्च परिवहन अधिकारी ने बताया कि परिवहन विभाग राज्य के उत्तरी व पश्चिमी हिस्सों में सीएनजी बसें चलाने की दिशा में कार्यरत है. अगले दो वर्षों में कोलकाता नगर निगम के क्षेत्र की सड़कों पर 1,180 इलेक्ट्रिक बसें उतारी जायेंगी, जिनका संचालन पश्चिम बंगाल परिवहन निगम करेगा.
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डब्ल्यूबीटीसी के अधिकारी ने बताया कि कोलकाता से सटे सॉल्टलेक व न्यू टाउन इलाकों के लिए 50 अतिरिक्त इलेक्ट्रिक बसें खरीदी गयी हैं. इनमें से 11 का संचालन भी शुरू है. पर्यावरण नयी 1,180 बसों को ओपेक्स (परिचालन व्यय) मॉडल के तहत अधिग्रहित किया जा रहा है. ये बसें टाटा की बनी होंगी. अधिकारी के मुताबिक, हर किलोमीटर के आधार पर कंपनी को भुगतान किया जायेगा. बस के चालक फर्म की ओर से ही उपलब्ध कराये जायेंगे, जबकि परिचालक डब्ल्यूबीटीसी से होंगे. परिवहन विभाग के अधिकारी ने कहा कि सीएनजी से चलने वाली नयी बसें दो अन्य राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) – दुर्गापुर मुख्यालय स्थित लगभग 8 एसबीएसटीसी (दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम) और कूचबिहार मुख्यालय स्थित एनबीएसटीसी (उत्तर बंगाल राज्य परिवहन निगम) द्वारा अधिग्रहित की जायेंगी.
पर्यावरणविद सुभाष दत्ता ने कहा कि कोलकाता महानगरीय क्षेत्र में सड़कों पर करीब 10-12 लाख निजी वाहनों के मद्देनजर यह बहुत छोटी, पर सकारात्मक पहल है. कम से कम पर्यावरण की सेहत में सुधार आने लगेगा, इलेक्ट्रिक बसें चलने से ब निश्चित रूप से कार्बन उत्सर्जन घटेगा. फिलहाल पूर्वी महानगर में न लगभग 80 इलेक्ट्रिक बसें चलायी जा रही हैं, जिन्हें केपेक्स (पूंजीगत व्यय) मॉडल के तहत अधिग्रहित किया गया है. डब्ल्यूबीटीसी वाहनों ‘ की खरीद के सथा-साथ इन्हें संचालित भी कर रहा है.
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