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विश्व भारती विश्वविद्यालय हिंसा के पीछे मनी लांडरिंग! जांच करने शांतिनिकेतन पहुंचे प्रवर्तन निदेशालय के अफसर

पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित विश्व भारती विश्वविद्यालय में पिछले दिनों हुई हिंसा के पीछे संगठित धनशोधन (ऑर्गेनाइज्ड मनी लांडरिंग) का कोण दिखने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम जांच करने के लिए शांतिनिकेतन पहुंची. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तीन सदस्यीय टीम ने गुरुवार को विश्व भारती विश्वविद्यालय का दौरा किया.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित विश्व भारती विश्वविद्यालय में पिछले दिनों हुई हिंसा के पीछे संगठित धनशोधन (ऑर्गेनाइज्ड मनी लांडरिंग) का कोण दिखने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम जांच करने के लिए शांतिनिकेतन पहुंची. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तीन सदस्यीय टीम ने गुरुवार को विश्व भारती विश्वविद्यालय का दौरा किया.

इस टीम ने विश्वविद्यालय परिसर में अगस्त में हुई हिंसा के पीछे संगठित धनशोधन होने के कोण की संभावना की जांच कर रहे अपने अधिकारियों से मुलाकात की. ईडी सूत्रों के अनुसार, जांच अधिकारियों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की और उनसे डेढ़ घंटे तक बात की.

ईडी ने कहा, ‘विश्वविद्यालय का हमारा दौरा नियमित जांच का हिस्सा था. हमें कुछ दस्तावेजों की जरूरत थी. अगर जरूरत हुई, तो हमारी टीम फिर से अधिकारियों से मिलेगी.’ ईडी के अधिकारियों ने हालांकि, न तो स्थानीय पुलिस थाने का दौरा किया और न ही बीरभूम पुलिस अधीक्षक के कार्यालय का.

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केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. ईडी ने पिछले महीने हिंसा के संबंध में प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर की प्रतियां मांगी थी, ताकि यह जांच की जा सके कि इसके पीछे संगठित धनशोधन वजह तो नहीं.

ईडी ने प्राथमिकी और अन्य शिकायतों की प्रतियों की मांग को लेकर बीरभूम के पुलिस अधीक्षक और विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र भेजे थे. 17 अगस्त को पौष मेला मैदान में तब दिक्कत उत्पन्न हो गयी थी, जब विश्वविद्यालय में हजारों स्थानीय लोग एकत्रित हो गये थे. यह सब विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा फेंसिंग कार्य शुरू करने के बाद हुआ था. इस दौरान तोड़फोड़ हुई थी.

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विश्व भारती ने हिंसा की सीबीआइ जांच और परिसर में केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की थी. विश्व भारती ने साथ ही इसके लिए तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक और सत्ताधारी पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने हिंसा में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था.

Posted By : Mithilesh Jha

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