21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुभाष चंद्र के मन-मस्तिष्क में बसे थे विवेकानंद, सिंगापुर में रामकृष्ण मिशन से मंगवायी थी 108 रुद्राक्षों की जपमाला

netaji subhash chandra bose jayanti: शंकरी प्रसाद कहते थे कि स्वामी विवेकानंद को सुभाषचंद्र ने अपने मन-मस्तिष्क में धारण किया था. उसकी ही परिणति नेताजी के रूप में हुई.

अपने छात्र जीवन में मैंने कई सुभाष भक्त देखे. एक हावड़ा के अध्यापक असित बंद्योपाध्याय थे. एक अन्य हावड़ा के ही शंकरी प्रसाद बसु. शंकरी प्रसाद कहते थे कि स्वामी विवेकानंद को सुभाषचंद्र ने अपने मन-मस्तिष्क में धारण किया था. उसकी ही परिणति नेताजी के रूप में हुई.

बंगाल क्लब में एक बार सेमिनार में गया था. वहां शरत बसु की पुत्रवधु कृष्णा बसु भी थीं. उन्होंने कहा कि जैसे छोटे भाई थे, वैसे बड़े भाई, वैसी भाभी. देश के लड़कों ने उनके संबंध में आज तक नहीं जाना. मैंने कहा कि उनके साथ भतीजे शिशिर बसु को भी शामिल किया जा सकता है, जिन्होंने अपने सारे डर को किनारे रख कर देर रात को एल्गिन रोड से गाड़ी चलाकर चाचा को गोमो रेलवे स्टेशन पहुंचाया था.

इसे ‘महानिष्क्रमण’ कहा जाता है. यह दुखद है कि इस साहसिक महानिष्क्रमण की बात नहीं सुनायी देती. कृष्णा दी नेताजी के कहानी संग्रह की बात बताती हैं. उन्होंने वह विख्यात गाड़ी भी दिखायी, जिसपर 1941 में 17 जनवरी की रात डेढ़ बजे सुभाष चंद्र एल्गिन रोड से सवार होकर पुलिस की आंखों में धूल झोंककर कोलकाता से रवाना हुए थे.

Also Read: Parakram Diwas: कोलकाता में नेशनल लाइब्रेरी में नेताजी की जयंती पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करेंगे पीएम मोदी

उन्होंने ही बताया था कि देर रात एल्गिन रोड का घर छोड़ने से पहले नेताजी ने भतीजी इला को कहा था कि घर की लाइट को मत बुझाना. कम से कम और एक घंटा लाइट जलाये रखना. इससे निगरानी कर रही पुलिस को लगेगा कि सुभाष बोस अभी भी काम कर रहे हैं.

आज भी सोचता हूं कि हमने उन भारतीय पुलिसकर्मियों की तलाश क्यों नहीं की, जो उस रात नेताजी की निगरानी कर रहे थे. क्या वह सजग नहीं थे? या फिर देखकर भी नहीं देखे थे. उन पुलिसकर्मियों के परिजन आज कहां हैं?

नेताजी कुछ भी गुप्त नहीं रखते थे

अमेरिका में रहने वाले स्वामी चेतनानंद कहते थे कि नेताजी इतने सरल थे कि कुछ भी गुप्त नहीं रखते थे. इस वजह से कई साधु उनके सामने जुबान नहीं खोलते थे. कोलकाता में जापानी ऑफिस में कार्यरत एक ऑफिसर ने चेतनानंद को बताया था कि वह आजाद हिंद फौज में नेताजी के बॉडीगार्ड थे. एक दिन नेताजी ने सिंगापुर स्थित रामकृष्ण मिशन के आश्रम से एक जपमाला खरीद कर लाने को कहा.

Also Read: Parakram Diwas: प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले कोलकाता किला में तब्दील

उन्होंने 54 रुद्राक्षों वाली माला लायी. उन्होंने कहा कि वहां 108 वाली माला नहीं है. दो बार माला घुमाने पर वह 108 वाली हो जायेगी. स्वामी भास्करानंद के मुताबिक, उन्होंने नेताजी के साथियों से सुना था कि नेताजी कभी भी रात को तीन घंटे से अधिक नहीं सोते थे.

भारी बारिश में भी लोग सुनते रहे नेताजी का भाषण

म्यूनिसिपल ऑफिस के सामने के मैदान में नेताजी ने करीब डेढ़ घंटे तक भाषण दिया. भाषण के बीच में भारी बारिश शुरू हो गयी. लेकिन, लोग टस से मस नहीं हुए थे. कृष्णा दी ने कहा कि उनके ससुर सुभाष चंद्र के बड़े भाई शरतचंद्र बसु ने पहले जो करीब का घर किराये पर लिया था, आज वह नहीं है.

वुडबर्न पार्क में रहते थे सुभाष चंद्र बोस

इसके बाद इसी मोहल्ले में दूसरा बसु भवन 1 नंबर वुडबर्न पार्क हुआ. वहां भी सुभाष चंद्र रहते थे. उस घर की बात बताते हुए कृष्णा दी ने मुझे बताया कि इस घर को कितनों ने आलोकित किया है, जिनमें महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सरोजिनी नायडू, अबुल कलाम आजाद शामिल हैं.

इसी घर में महात्मा गांधी से मिलने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर दो बार आये थे. तब लिफ्ट नहीं थी. उन्हें चेयर पर बैठाकर दूसरी मंजिल पर ले जाने वालों में शरतचंद्र, जवाहरलाल व महादेव देसाई के अलावा सुभाष चंद्र बोस भी थे. रवींद्रनाथ को चप्पल पहनाने वाले महात्मा गांधी थे. एल्गिन रोड से आज भी जब जाता हूं, तो मन कहता है कि ‘हे पथिक रुक जाओ, बंगाल में जब भी जन्म हो, तो कुछ क्षण के लिए स्मृतियों से भरे इस मंदिर में जरूर ठहरो.’

शंकर, लेखक रामकृष्ण मिशन के संन्यासी हैं

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें