13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सोमेन मित्रा : ऐसे रणनीतिकार जो पश्चिम बंगाल कांग्रेस में विभाजन रोकने में रहे नाकाम

Soumen Mitra, West Bengal News, Kolkata News, Congress, TMC: कोलकाता : पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा को अपने वक्त के ऐसे रणनीतिकार के तौर पर इतिहास में याद रखा जायेगा, जो पार्टी में विभाजन को रोकने में नाकाम रहे. पार्टी में विभाजन की वजह से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का जन्म हुआ और राज्य में एक राजनीतिक ताकत के तौर पर कांग्रेस का ग्राफ गिरने लगा. नब्बे के दशक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोमेन मित्रा के दूसरे कार्यकाल के दौरान ही कांग्रेस ने मुख्य विपक्षी दल का दर्जा खो दिया था.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा को अपने वक्त के ऐसे रणनीतिकार के तौर पर इतिहास में याद रखा जायेगा, जो पार्टी में विभाजन को रोकने में नाकाम रहे. पार्टी में विभाजन की वजह से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का जन्म हुआ और राज्य में एक राजनीतिक ताकत के तौर पर कांग्रेस का ग्राफ गिरने लगा. नब्बे के दशक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोमेन मित्रा के दूसरे कार्यकाल के दौरान ही कांग्रेस ने मुख्य विपक्षी दल का दर्जा खो दिया था.

मित्रा का 78 वर्ष की आयु में बुधवार (29 जुलाई, 2020) देर रात शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह हृदय और किडनी से संबंधी बीमारियों के चलते 17 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे. अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के यशोर जिले में 31 दिसंबर, 1941 को जन्मे मित्रा पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे.

बंगाल की राजनीति में दिग्गज नेता सोमेन मित्रा का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव भरे 60 के दशक में एक छात्र नेता के तौर पर शुरू हुआ और पांच दशक तक चला. मित्रा एक छात्र नेता के तौर पर 1967 में राजनीति में आये, जब बंगाल में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. मित्रा ने कुशल वक्ता के तौर पर अपने संगठनात्मक कौशल के जरिये राजनीति में तेजी से जगह बनायी.

Also Read: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राहुल गांधी ने सोमेन मित्रा के निधन पर जताया शोक

सोमेन मित्रा दिवंगत केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी के साथ ही पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बने. एबीए गनी खान चौधरी जैसे कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के मार्गदर्शन में मित्रा ने 1972 में पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखा. मात्र 26 साल की उम्र में सियालदह सीट से पश्चिम बंगाल विधानसभा में सबसे युवा विधायक बने. मित्रा 1977 को छोड़कर 1982 से 2006 तक लगातार छह बार सियालदह से विधायक रहे.

नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में निभायी थी अहम भूमिका

‘छोरदा’ (मंझला भाई) के तौर पर पहचाने जाने वाले मित्रा 1960 और 70 के दशक के सबसे तेज-तर्रार नेताओं में से एक थे. उन्होंने उस दौरान कोलकाता में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी. उन्हें कांग्रेस आलाकमान का पसंदीदा माना जाता था, जिसकी गांधी परिवार से नजदीकियां थी. लेकिन, यह सब उन्हें वर्ष 2000 के राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा चुने उम्मीदवार डीपी रॉय को हराने से नहीं रोक सका.

ममता बनर्जी से रिश्तों में आयी खटास

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल ईकाई के 1992-1996, 1996-1998 और सितंबर 2018 से अब तक अध्यक्ष रहे सोमेन मित्रा ने 1996 के विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चा के खिलाफ 82 सीटें जीतने में अहम भूमिका निभायी. उसी दौर में पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर उभर रहीं थीं. सोमेन और ममता के रिश्तों में उस समय खटास आयी, जब ममता बनर्जी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मित्रा के खिलाफ दावेदारी पेश की.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दक्षिण कोलकाता के महाराष्ट्र निवास में नाटकीय घटनाक्रमों के बाद पार्टी के अंदरूनी चुनावों में 22 वोटों से जीतने में कामयाब रहे. ऐसा आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी के साथ मिलकर पार्टी में ममता बनर्जी को दरकिनार किया, जिसके बाद 1998 में बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस बनायी.

टीएमसी के भाजपा की ओर झुकाव और बंगाल में वाम मोर्चा के मुख्य विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस का स्थान लेने पर सोमेन मित्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. टीएमसी ने 1998 के संसदीय चुनाव में सात सीटें जीती थीं.

Also Read: पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा का निधन

मित्रा ने वर्ष 2008 में कांग्रेस छोड़कर प्रगतिशील इंदिरा कांग्रेस राजनीतिक पार्टी बनायी. लेकिन, जैसा कि कहा जाता है कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता, इसी तर्ज पर सोमेन मित्रा ने बाद में 2009 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी का तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में विलय कर दिया और उस साल डायमंड हार्बर संसदीय सीट से टीएमसी के टिकट पर चुनाव जीते.

टीएमसी से लौटे, वाम मोर्चा से किया गठबंधन

ममता बनर्जी के साथ मतभेदों के बाद सोमेन दा वर्ष 2014 में टीएमसी छोड़कर वापस कांग्रेस में शामिल हो गये. अंदरूनी कलह और टीएमसी में दल-बदल से जूझ रही कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए मित्रा को 2018 में एक बार फिर से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उनकी 2016 विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच गठबंधन कराने में अहम भूमिका थी.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें