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West Bengal Election 2021: भाजपा को हराने के लिए TMC ने समर्थन मांगा, तो अधीर रंजन बोले, कांग्रेस में शामिल हो जायें ममता बनर्जी

West Bengal Election 2021: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की ‘सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी’ राजनीति के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की, तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ममता बनर्जी को अपनी पुरानी पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की ‘सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी’ राजनीति के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की, तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ममता बनर्जी को अपनी पुरानी पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए.

कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल के नेता सौगत रॉय की इस सलाह के बाद तृणमूल कांग्रेस को पेशकश की कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने की बजाय पार्टी (कांग्रेस) में अपने दल का विलय कर ले. कांग्रेस और वामदलों ने तृणमूल कांग्रेस के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया.

वहीं, राज्य में मजबूती से उभर रही भाजपा का कहना है कि तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है.

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तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पत्रकारों से कहा, ‘अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ हैं, तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ही ‘भाजपा के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा’ हैं. तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया.

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अधीर बोले, तृणमूल से गठबंधन में दिलचस्पी नहीं

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है. पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है. अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं, तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है.’

ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर बनायी थी तृणमूल

ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर वर्ष 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी. माकपा के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताया कि तृणमूल कांग्रेस, वाममोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है.

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उन्होंने कहा, ‘यह दिखाता है कि वह (वाममोर्चा) अभी भी महत्वपूर्ण हैं. वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों को हरायेंगे.’ घटनाक्रम पर पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस की ‘हताशा’ को दर्शाता है.

तृणमूल हमसे अकेले नहीं लड़ सकती : दिलीप घोष

दिलीप घोष ने कहा, ‘वे (तृणमूल कांग्रेस) हमसे अकेले नहीं लड़ सकते हैं. इसलिए वे अन्य दलों से मदद मांग रहे हैं. इससे साबित होता है कि भाजपा ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है.’ लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस और वाम मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-वाम का प्रदर्शन

माकपा नीत वाममोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस को उसकी कुल 42 सीटों में से पश्चिम बंगाल से सिर्फ दो सीटें मिली थीं. वहीं, दूसरी ओर भाजपा को 18 सीटें मिली थी, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं.

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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को कुल 294 में से 76 सीटें मिली थीं, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटें मिलीं थीं.

Posted By : Mithilesh Jha

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